उत्तराखंड

केदारनाथ के चोराबाड़ी ताल के पास मिला मानव कंकाल, एलपीयू का आईडी कार्ड भी बरामद..

केदारनाथ के चोराबाड़ी ताल के पास मिला मानव कंकाल, एलपीयू का आईडी कार्ड भी बरामद..

 

उत्तराखंड: केदारनाथ यात्रा मार्ग पर मंगलवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। केदारनाथ से लगभग चार किमी ऊपर स्थित चोराबाड़ी ताल (गांधी सरोवर) के पास एक मानव कंकाल मिला है। प्रारंभिक जांच में यह कंकाल काफी पुराना प्रतीत हो रहा है। जानकारी के अनुसार मंगलवार दोपहर बाद केदारनाथ सेक्टर मजिस्ट्रेट को सूचना मिली कि चोराबाड़ी क्षेत्र में ताल के पास एक कंकाल पड़ा है। सूचना मिलते ही सेक्टर मजिस्ट्रेट नवजोत सिंह यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के जवानों के साथ मौके पर पहुंचे और कंकाल को कब्जे में लिया गया। यात्रा मैनेजमेंट फोर्स ने कंकाल को सुरक्षित तरीके से केदारनाथ लाकर पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने कहा कि बुधवार को आवश्यक औपचारिकताओं के बाद कंकाल को जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग भेजा जाएगा, जहां मेडिकल टीम इसकी विस्तृत जांच करेगी। आपको बता दे कि 2013 की भीषण आपदा के बाद से केदारनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में समय-समय पर पुराने कंकाल व अवशेष मिलने की घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसे मामलों में अक्सर डीएनए परीक्षण और अन्य वैज्ञानिक जांच के बाद पहचान की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। फिलहाल प्रशासन ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कंकाल की वास्तविक स्थिति और समयावधि को लेकर स्पष्ट जानकारी दी जा सकेगी।

चोराबाड़ी ताल (गांधी सरोवर) में मिले कंकाल के पास से एक आईडी कार्ड भी बरामद हुआ है, जिससे मृतक की संभावित पहचान की जा रही है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने कहा कि कंकाल के पास से जो आईडी कार्ड मिला है, वह लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) का है और वर्ष 2022 का है। आईडी कार्ड पर नाम नोमुल रिश्वंत, केयर ऑफ नोमुल गणेश, इब्राहिमपटनम, मंडल राजेश्वर रावपेट, करीमनगर (तेलंगाना) दर्ज है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार कंकाल की स्थिति देखकर यह प्रतीत होता है कि यह कम से कम दो से तीन माह पुराना हो सकता है। अधिकारियों ने कहा कि कंकाल की पुष्टि और वास्तविक पहचान के लिए आगे वैज्ञानिक परीक्षण और डीएनए जांच कराई जाएगी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि मामले में विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं प्रशासन ने इस बाबत जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी सूचना दे दी है। बता दे कि केदारनाथ क्षेत्र में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और ऊंचाई पर कठिन ट्रैकिंग रूट्स पर कई बार हादसे हो जाते हैं।

 

 

 

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