उत्तराखंड: जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर रुद्रप्रयाग में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चुनाव परिणाम आने के बाद अब अध्यक्ष पद को लेकर जोड़-तोड़ की राजनीति उफान पर है। सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खेमे में अब कई निर्दलीय प्रत्याशी भी खुलकर समर्थन देने को आगे आ रहे हैं। चर्चा है कि भाजपा के समर्थन में आए इन निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों की मुख्यमंत्री कार्यालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं।
इन तस्वीरों को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। स्थानीय सूत्रों की मानें तो भाजपा समर्थित और निर्दलीय विजयी प्रत्याशियों की एकजुटता ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के पक्ष में लगभग तय कर दी है। हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सीएम कार्यालय में हो रही मुलाकातों को राजनीतिक समीकरणों का संकेत माना जा रहा है।वही विपक्षी दलों की ओर से भी रणनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। लेकिन निर्दलीय सदस्यों का भाजपा की ओर झुकाव उनकी तैयारियों को झटका दे सकता है।
आपको बता दे कि रुद्रप्रयाग जिले की 18 जिला पंचायत सीटों में से 5 सीटों पर भाजपा, जबकि 3 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। शेष सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने सफलता पाई है। शुरुआती अनुमान था कि जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य पुरुष के लिए आरक्षित होगी, लेकिन आरक्षण सूची में यह सीट महिला के लिए आरक्षित घोषित कर दी गई। इससे कई पुरुष प्रत्याशियों के अध्यक्ष बनने के सपने अधूरे रह गए और समीकरणों में अचानक बदलाव आ गया। महिला सीट घोषित होते ही भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमों में नया समीकरण गढ़ने की तैयारियां शुरू हो गईं।
दोनों दलों ने अपने समर्थित महिला सदस्यों को मजबूत करने की दिशा में कदम तेज कर दिए। रविवार को अचानक तस्वीरें सामने आईं जिसमें रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी के नेतृत्व में भाजपा के विजयी जिला पंचायत सदस्य और कई निर्दलीय सदस्य देहरादून में सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करते नजर आए। इन तस्वीरों के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक हलकों में चर्चा गर्म हो गई कि भाजपा ने एक बार फिर से बहुमत जुटाने की रणनीति सफल कर ली है और वह रुद्रप्रयाग में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज हो सकती है। हालांकि कांग्रेस की ओर से भी तैयारियां जारी हैं, लेकिन निर्दलीयों के भाजपा खेमे में झुकाव ने उसकी राह मुश्किल कर दी है। अब सभी की निगाहें आगामी औपचारिक नामांकन और चुनाव प्रक्रिया पर टिकी हैं।
निर्मला देवी बहुगुणा का नाम सबसे ऊपर..
रुद्रप्रयाग में जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर जारी सियासी हलचल के बीच कंडाली जिला पंचायत सीट से भाजपा अधिकृत प्रत्याशी के रूप में विजयी हुईं निर्मला देवी बहुगुणा का नाम अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदारों में प्रमुखता से उभर कर सामने आया है। निर्मला देवी की छवि एक स्वच्छ, ईमानदार और जमीनी कार्यकर्ता की रही है। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने से पहले वह दो बार क्षेत्र पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। वर्ष 2008 में निर्विरोध और वर्ष 2019 में एकतरफा जीत दर्ज कर उन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ साबित की थी।
निर्मला देवी ने इस बार भी कंडाली सीट से भारी मतों से विजय हासिल कर जिला पंचायत के सदन में मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। उनके अनुभव, कार्यक्षमता और पार्टी से नजदीकी को देखते हुए उन्हें अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे मजबूत चेहरा माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के भीतर भी निर्मला देवी का नाम सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में है। वहीं निर्दलीय और अन्य समर्थक सदस्यों से भी उन्हें समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है। इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद महिला आरक्षित होने के कारण निर्मला देवी जैसी अनुभवी महिला प्रतिनिधियों को नेतृत्व में आने का अवसर मिला है। इससे स्थानीय राजनीति में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई लहर देखी जा रही है।
तिवारी बन सकते हैं किंग मेकर..
रुद्रप्रयाग के निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी जो इस बार भाजपा अधिकृत प्रत्याशी के रूप में ल्वारा सीट से चुनाव हार गए, अब अध्यक्ष पद की रेस में किंगमेकर की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। बता दे कि सुमंत तिवारी के नेतृत्व में 4 से 5 निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य, जिन्होंने हाल ही में चुनाव में जीत हासिल की है। सीएम पुष्कर सिंह धामी से देहरादून में मुलाकात कर चुके हैं। यह मुलाकात राजनीतिक हलकों में एक बड़ा संकेत मानी जा रही है।भाजपा के पास पहले से ही 5 निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य हैं। यदि सुमंत तिवारी की पहल पर ये 4–5 निर्दलीय सदस्य भाजपा खेमे में आ जाते हैं, तो पार्टी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल हो सकता है।
बता दे कि इन निर्दलीय सदस्यों में से एक-दो प्रत्याशी कांग्रेस पृष्ठभूमि के भी हैं, जिससे कांग्रेस की रणनीति को झटका लगना तय है। यदि यह समीकरण भाजपा के पक्ष में पूरी तरह बैठ गया, तो जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के खाते में जाना लगभग तय माना जा रहा है। चुनाव में हारने के बावजूद सुमंत तिवारी की राजनीतिक सक्रियता और निर्दलीयों से उनका संपर्क यह साबित करता है कि उनकी पकड़ अब भी मजबूत है। यह भी माना जा रहा है कि यदि भाजपा अपना अध्यक्ष बनाने में सफल होती है, तो पर्दे के पीछे तिवारी की भूमिका सबसे अहम होगी।
कांग्रेस भी अध्यक्ष बनाने की तैयारी में
रुद्रप्रयाग में जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस ने भी अपने स्तर पर अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए सक्रिय प्रयास तेज कर दिए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के भीतर लगातार रणनीतिक बैठकें हो रही हैं और संभावित समीकरणों को लेकर चर्चा जारी है। कांग्रेस के तीन प्रत्याशी जिला पंचायत चुनाव में विजयी हुए हैं। इसके साथ ही कुछ विजयी निर्दलीय सदस्य ऐसे भी हैं जो पूर्व में कांग्रेस पृष्ठभूमि से जुड़े रहे हैं और जिनसे पार्टी को समर्थन मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। हालांकि जिस तरह से कई निर्दलीय प्रत्याशियों की भाजपा नेताओं और सीएम से हुई मुलाकातें सामने आई हैं, उससे कांग्रेस की राह कठिन होती दिख रही है।
राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यदि निर्दलीय सदस्य पूरी तरह भाजपा खेमे में चले जाते हैं, तो कांग्रेस के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। इसके बावजूद कांग्रेस खेमे में “अभी कुछ भी हो सकता है” वाली रणनीति के साथ अंदरखाने कोशिशें जारी हैं। कांग्रेस नेता संभावित समर्थकों से संपर्क में हैं और समीकरण बदलने की संभावनाओं को पूरी तरह नकारा नहीं जा रहा है।भले ही भाजपा के पक्ष में समीकरण फिलहाल मजबूत दिख रहे हैं, लेकिन अध्यक्ष पद के लिए अंतिम निर्णय और नामांकन से पहले सभी दलों की कोशिशें अंतिम दौर में हैं, और सियासी तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं हुई है।
