उत्तराखंड

बदहाली: प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला ने झूला पुल पर दिया बच्चे को जन्म

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का कितना बुरा हाल है, इसका अंदाज़ा आप इस महिला की तस्वीर को देखकर लगा सकते हैं। जौनसार क्षेत्र की यह तस्वीर सब कुछ बयां कर रही है। देश आज़ादी के 70 साल बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।

तहसील मोरी के थुनरा, आराकोट गावँ की नौ माह की गर्भवती बनिता पत्नी दिनेश दास 24 अक्तूबर को स्वास्थय परीक्षण के लिए चकराता स्थित स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी। केंद्र में डॉक्टर न होने के कारण प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को अन्य स्वास्थ्य केंद्र में जाने की सलाह दी गई। आस-पास दूसरा स्वास्थ्य केंद्र न होने के कारण वह वापस लौटने लगी। इसी दौरान त्यूणी झूला पल से गुजरते समय बनिता को तेज प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी।

खून से लथपथ बनिता काफी देर तक पुल पर तड़पती रही। आस-पास से गुज़र रही महिलाए महिला की मदद के लिए आगे आई और साॅल -चुन्नी से पर्दा बनाकर त्यूणी झूला पुल पर ही बनिता को प्रसव के लिए मदद करने लगी। कुछ ही देर में महिला ने झूला पुल पर बच्चे को जन्म दे दिया। मदद के लिए महिलाएं न आती तो बनिता के लिए यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती थी।

ये हाल तब है जब इस क्षेत्र से पाँच बार कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह पूर्ववती सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। मौजूदा समय में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य केंद्र बदहाल है।

इस मामले के बाद सोशल मीडिया पर इस तरह से प्रतिक्रिया आ रही है।
शर्मनाक! ये है सूबे के नीति नियंताओ के 17 सालों के विकास को बंया करती बुलंद तस्वीर।
हुक्कमरानों ! सूबे की 17 सालों की हुकुमत करने वाली सरकारों तुम 17 सालों में केवल अपने सत्ता सुख के लिए अदला बदला करते रहे। कभी एक तो कभी दूसरे की बारी। तुमने कभी आमजन की तकलीफों और पीड़ा को दूर करने का प्रयास नहीं किया। सूबे की मात्रशक्ति कभी गाँव की पगडंडी कभी सड़क कभी सुरंग कभी दूध की गाड़ी और अब पुल में बच्चों को जन्म दे रही हैं। लेकिन तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम सरकार गिराने और विधायकों को खरीदने के लिए हैलीकप्टर दौडाओगे लेकिन पहाड़ के वाशिंदो के लिए मजबूत स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया नहीं करवाओगे। तुम एक दूसरे पर राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप लगाओगे। शराब के लिए सड़कों का नाम बदल दोगे पर आमजन के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ कैसे सुलभ हो इस पर कोई चर्चा नहीं करोगे। आखिर कब तक पहाड़ के वाशिंदे स्वास्थ्य सेवाओं के आभाव में तडपते भटकते रहेंगे। आखिर कब होंगी पहाड़ की स्वास्थ्य सेवाएँ मजबूत।
(संजय चौहान)

 

ये तस्वीरें हैं आवाम के उस स्याह पक्ष की जो आज भी पिछले सत्रह सालों से शक्तिशाली हो चुके छात्रपों क जयकारे लगाने के लिए मजबूर है ।

चकराता विधानसभा के त्यूणी में पैदल पुल पर दिन के उजाले में प्रसव के लिए मजबूर ये तस्वीरें इन सत्रह सालों में जो विकास की कहानी कह रही हैं उसके लिए सरकार साहेब, महकमा ए तीमारदारी के अदद वजीर साहब के साथ साथ उस क्षेत्र के समस्त जन प्रतिनिधियों का इस्तकबाल।

सत्रह सालों में ये नामुराद चुनावी भाषणों में वोट बैंक की खातिर मातृ शक्ति के जयकारे लगा लगा कर उनके लिए इतना कर गए कि सुरंग और पुल पर प्रसव करना पड़े। प्रसव के बाद पुल पर फैला रक्त उन शहीदों के सपनों का रक्त है जिनकी प्रतिमाओं पर ये ठग फूल चढाने की नौटंकी करते रहे हैं।

समस्त कांग्रेस जनो को सुझाव है कि इस उपलब्धि के लिए आज वे अपने अध्यक्ष जी का कांग्रेस भवन में सार्वाजनिक अभिनंदन करें व् बी जे पी वाले वंदेमातरम् और जय गौमाता बोलते हुए महकमा ए तीमारदारी के वजीर साहब के घर पर राष्ट्रवादी उदगार व्यक्त कर देवें ।

वंदेमातरम्।। जय गौमाता।।
(अखिलेश डिमरी)

 

माननीय प्रीतम सिंह जी,
आप यशस्वी और ओजस्वी होने की राह पर अग्रसर है। ब्लॉक प्रमुख से शुरू हुआ आपका राजनीतिक सफर पिछले पच्चीस सालों के दौरान विधायक, कबिना मंत्री होते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तक पहुँच चुका है। आपकी हालिया उपलब्धि यह है कि आपको पडौसी राज्य हिमाचल की सीमांत विधान सभा सीटों पर जातीय समीकरण साधने के लिए AICC ने आपको स्टार प्रचारकों की सूची में शुमार किया है। बधाई हो, आप के और आपके शुभ च़ितकों के लिए हर ओर शुभ ही शुभ है, लेकिन यहाँ की जनता का क्या करें जिसकी अनुकंपा से आप यहाँ से एक नहीं चार चार बार विधायक निर्वाचित हुए है?

दिन के उजाले में पशुओं की तरह खुले में बच्चा जनती महिला की यह तस्वीर आपके विधान सभा क्षेत्र चकराता के अंतर्गत आने वाले आपके गृह कस्बे त्यूनी की है। याद रखिएगा, जब कभी भी क्षेत्र का इतिहास आपकी राजनीतिक तरक्की के कसीदे कढेगा तब यह तस्वीर उसमे आपके पच्चीस साल के काम काज के ब्यौरों के रुप में टाट का पैबंद होकर आपकी प्रशासनिक विफलताओं की कहानी कहेगी।
(सुभाष तराण)

कौदा-झंगौरा खायेंगे, उत्तराखंड बनायेंगे
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पैदल पुल पर बच्चा जन्मती इस महिला को देख लगा, आज उत्तराखंड का पुरूषार्थ मर चुका है। ये असफलता हमारे उत्तराखंड के पूरे समाज की है। इसे सिर्फ एक सरकार की असफलता कहना गलत होगा। सरकार और समाज जब खुद को किसी जवाबदेही का जिम्मेदार नहीं मानता तब अक्सर ये होता है, और बार-बार होता है।

नीति नियंताओं की बैशर्मी का तो जवाब नहीं है। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि अभी भी यहाँ आगे कुछ नहीं बदलने वाला। 17 सालों से जस के तस या पहले से बदतर हो चुके इन हालातों के लिये थू है। आगामी 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस के दिन सरकार ने दो दिन तक उत्सव मनाये जाने की घोषणा की है। नपुंसकता भरी क्रांति की इस सामाजिक प्रगति के लिये पुरे उत्तराखंड के पहाड़ी समाज को बधाई।
(विजयपाल रावत)

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