तीन किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुँचते हैं लोग..
जंगल के रास्ते होकर स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे..
रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड को अस्तित्व में आए आज 20 साल का समय बीत गया है। जब उत्तराखंड बना था, तब लोगों के बहुत सारे सपने थे। उन्हें लगा था कि अब हमारे गांव सड़क से जुड़ेंगे। गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, संचार और अन्य बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी। पिछले बीस वर्षों में गांवों की तस्वीर नहीं बदल पाई है। आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां सड़क की इंतजारी में लोगों की आंखें पथरा गयी हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद में तल्लानागपुर क्षेत्र का उत्तरसू एक ऐसा ही अभागा गांव है, जो 21वीं सदी में भी यातायात से कोसों दूर है। गाँव के लोग सड़क मार्ग से करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुँचते हैं। उन्हें हर रोज अपने पीठ पर सामान ढोना पड़ता है। यहां के बच्चों को इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए तीन से चार किमी दूर चोपड़ा जाना पड़ता है। जिस रास्ते बच्चे होकर गुजरते हैं, वह घने जंगल के बीच से होकर गुजरता है। ऐसे में हर समय जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है।
यही नहीं गांव में किसी व्यक्ति के बीमार होने पर उसे सड़क मार्ग तक चारपाई पर ले जाना पड़ता है। इस गांव में सड़क तो दूर पैदल चलने के लिए सीसी मार्ग भी नहीं बनाये गये हैं। सड़क के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं। लेकिन कहीं से कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी तीन किलोमीटर पैदल चलकर उत्तरसू गांव पहुँचे। उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। उन्होंने कहा कि सड़क के लिए सभी लोगों को एकजुटता से लड़ाई लड़नी होगी। तभी गूंगी-बहरी सरकार नींद से जागेगी। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में उत्तराखंड क्रांति दल ग्रामीणों के साथ खड़ा है। उक्रांद के जिला महामंत्री भगत चैहान, उक्रांद के युवा अध्यक्ष दिनेश बर्त्वाल, स्थानीय निवासी धर्मेंद्र बिष्ट, जनक बिष्ट, सुबोध पुरोहित ने कहा कि गांवों के विकास को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। आज भी कई गांव सड़क से वंचित हैं। ऐसे में ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तरसू गांव को सड़क मार्ग से न जोड़ा गया तो आंदोलन किया जाएगा।
