उत्तराखंड

देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ पुरोहितों के बाद अब विरोध में उतरा विश्व हिंदू परिषद..

देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ पुरोहितों के बाद अब विरोध में उतरा विश्व हिंदू परिषद..

उत्तराखंड: देवस्थानम बोर्ड पर पंडों पुरोहितों के चल रहे विरोध के बीच अब विश्व हिंदू परिषद भी इसमें शामिल हो गया है। विश्व हिंदू परिषद इस मामले में केंद्र सरकार से वार्ता करेगा। विश्व हिंदू परिषद के नेता आलोक कुमार का कहना हैं कि हमने अपने मंदिरों के लिए भी केंद्र सरकार से बात की है। पूछा है कि आप गुरुद्वारे और मस्जिदों का प्रबंधन नहीं करते फिर हमारे मंदिर आपके कब्जे में क्यों हैं। उनका कहना हैं कि केंद्र में कानून बने और हमारे मंदिर वापस हों। वहीं, चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति और अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने विश्व हिंदू परिषद को खुला समर्थन दिया है। पुरोहित महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक ने दोबारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा है। उन्होंने मांग की है कि इस बोर्ड को तुरंत भंग किया जाए।

केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों का धरना जारी..

केदारनाथ में देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थपुरोहितों का धरना-प्रदर्शन 38वें दिन भी जारी रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से यथाशीघ्र बोर्ड को भंग करने की मांग की। मंगलवार को आचार्य संजय तिवारी के नेतृत्व में केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों ने मंदिर परिसर में धरना दिया। उनका कहना था कि आंदोलन के 38 दिन बाद भी शासन, प्रशासन व बोर्ड ने उनकी सुध नहीं ली है।

 

सरकार व उसके लोग बार-बार कह रहे हैं कि देवस्थानम बोर्ड में तीर्थपुरोहितों व हक-हकूकधारियों के अधिकार पूर्णरूप से सुरक्षित हैं। ऐसा है तो उन्हें अधिनियम की प्रतियां दी जाएं, जिसमें यह उल्लेख किया गया है। उनका कहना हैं कि उनकी बोर्ड भंग करने की एकसूत्री मांग है, जिसके पूरा होने पर ही आंदोलन खत्म होगा। इस मौके पर अंकुश शुक्ला, प्रवीण शुक्ला, ऋषि अवस्थी आदि मौजूद थे।

 

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर कहा कि बोर्ड के गठन से पूर्व विभिन्न प्रदेशों के मठ मंदिरों के ट्रस्ट और श्राइन बोर्डों का अध्ययन किया गया है। इसके बाद ही प्रदेश में देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे यह स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं कि उनकी आपत्ति आखिर किस बात पर है।

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