उत्तराखंड

रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विधायक मनोज की पहल

विधायक निधि से पत्थर तराशने की यूनिट की स्थापित
हर दिन दो सौ पत्थर किये जा रहे तैयार
केदारघाटी की जनता ने केदारनाथ विधायक के कार्य को सराहा रुद्रप्रयाग। जनता के प्रति निःस्वार्थ भाव से सेवा करने का जज्बा हो तो, कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। दृढ़ इच्छाशक्ति और ईमानदारी से सभी कार्य आसानी से किये जा सकते हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की है केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने। सरकार को आइना दिखाते हुए केदारनाथ विधायक केदारघाटी में रोजगार के नये आयामों को स्थापित कर रहे हैं।
वैसे पहाड़ी जिलों में रोजगार की कोई कमी नहीं है और सरकार की ओर से योजनाएं भी चलाई जाती है, लेकिन ये योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाती हैं। जिसका कारण साफ है कि योजनाओं को लेकर तैयारियां हवा-हवाई ही रहती हैं और पैंसों का दुरूपयोग किया जाता है। पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद भी सरकार के कदम ठोस योजना बनाने में सफल नहीं हो पाते हैं। पहाड़ों में स्वरोजगार, प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग और परम्परागत निर्माण शैली को बढ़ावा देने के सरकार लाख दावे करती है, मगर सभी कोशिशें कुछ समय के लिए रह जाती हैं। ऐसे में केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने एक ऐसा उदाहर पेश किया है, जो सरकार को आइना दिखा रहा है। उन्होंने साबित किया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और ईमानदारी से कार्य किया जाय तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है।

वर्ष 2013 में केदारनाथ में आये जल प्रलय से केदारघाटी का रोजगार खत्म हो गया है, जिसके बाद से पलायन भी तेजी से हुआ है। ऐसे में पलायन को रोकने और युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने एक नई पहल की शुरूआत की है। उन्होंने सरकार के समक्ष इस बात को रखने से पहले मामले में स्वयं ही पैरवी की। उन्होंने क्यार्क, जोला, तालजामण, डांगी, अरखुण्ड आदि गांवों के पत्थर बनाने वाले करीब 12 स्थानीय कारीगरों का एक समूह बनाकर बड़ेथ गांव में पत्थर काटने की एक यूनिट अपनी विधायक निधि से स्थापित की है। यूनिट स्थापित करने के बाद पत्थर स्पेशिलिस्ट जगदीश रावत को चंडीगढ़ से बड़ेथ गांव में बुलाया। यूनिट लगने के बाद से ही काम शुरू हो गया है। केदारनाथ में आये जल प्रलय के बाद से केदारपुरी में कार्य किया जा रहा है और वहां पर पहाड़ी शैली के पत्थरों का उपयोग हो रहा है। ऐसे में राजस्थानीय कारीगरों की मदद लेकर स्थानीय लोगों को रोजगार देकर केदारपुरी के लिए पत्थरों को तरासने का कार्य किया जा रहा है। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि केदारघाटी में ही मजबूत पत्थरों की भरमार है और यहां पहाड़ी निर्माण शैली के स्थानीय कारीगर मौजूद हैं, बावजूद इसके केदारनाथ को राजस्थानी सामग्री और शैली से क्यों संवारा जा रहा है, यह उनकी समझ से परे है। इस बात को सरकार को समझाने के वजाय उन्होंने स्वयं पहल करने की ठानी और विधायक निधि से बड़ेथ गांव में पत्थर काटने की एक यूनिट स्थापित की गई। इस यूनिट पर पत्थरों को काटकर डिजाइन दिया जा रहा है और इनका उपयोग धार्मिक और पर्यटक स्थलों के सौन्दर्यीकरण के निर्माण कार्यों में करवाया जा रहा है। कहा कि इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भी भेजा जायेगा, ताकि केदारपुरी के पुनर्निर्माण में पहाड़ी शैली में काटे और तराशे गये इन स्थानीय पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने बताया कि बसुकेदार क्षेत्र में पत्थरों की खान है। यहां के पत्थरों का उपयोग होने के साथ ही स्थानीय कारीगरों को रोजगार मिल सकता है। विधायक रावत ने कहा कि बड़ेथ गांव में यूनिट के स्थापित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है और पलायन की समस्या को भी खत्म किया गया है। कहा कि केदारनाथ में आई आपदा के बाद से रोजगार की संभावनाएं खत्म सी हो गई हैं। ऐसे में केदारघाटी के बढ़ते पलायन को रोकने के लिए हर स्तर से प्रयास किये जा रहे हैं। जन समस्याओं के समाधान से लेकर रोजगार के विषय पर कार्य किया जा रहा है।

विधायक की पहल बनी चर्चा का विषय

चन्द्रापुरी के सामाजिक कार्यकर्ता ताबजर सिंह खत्री ने कहा कि केदारनाथ विधायक मनोज रावत द्वारा विधानसभा क्षेत्र में बेहतर कार्य किये जा रहे हैं। उनके द्वारा युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए कार्य करने के साथ ही ग्रामीणों की समस्याओं का भी हल किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी विधायक ने इस प्रकार की पहल की है। बड़ेथ गांव में यूनिट स्थापित होने के बाद से क्षेत्र की जनता में काफी खुशी है और इस यूनिट से कई लोगों को रोजगार से जोड़ा गया है। राजस्थान से आये कारीगर जगदीश रावत अत्याधुनिक मशीन से पत्थरों को काटने और तराशने की तकनीक स्थानीय कारीगरों को सिखा रहे हैं। साथ ही प्रशिक्षण के दौरान ही रोजाना दो सौ पत्थर तैयार किये जा रहे हैं। विधायक मनोज रावत की यह पहल पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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