उत्तराखंड

मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ ही राज्य में बजा चुनावी बिगुल..

मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ ही राज्य में बजा चुनावी बिगुल..

उत्तराखंड: प्रदेश में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को बदल कर अगले साल होने वाले चुनाव का भी बिगुल फूंक दिया है। भाजपा सूत्रों के अनुसार अगले कुछ महीनों में प्रदेश में चल रही अंदरूनी गुटों की राजनीति पर भी लगाम लगाई जाएगी। इसके लिए आलाकमान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर संकेत दे दिया हैं।

 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को हटाने के बाद आला कमान ने साफ संदेश दे दिया कि किसी भी तरह की गुटबाजी बर्दाश्त नहीं होगी। भारतीय जनता पार्टी आलाकमान के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड में जिस वजह से फेरबदल हुआ है, उसकी मुख्य भूमिका अगले साल होने वाले चुनावों में वापस सत्ता पाना है। इसलिए पार्टी अपने स्तर पर किसी भी तरीके की कोई कमी ही नहीं छोड़ना चाहती है। उत्तराखंड में जिस तरीके से बड़े नेताओं के अलग-अलग गुट बने हुए हैं। इन गुटों के बावजूद भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हो रही अंदरूनी राजनीति को रोक नहीं पाए। इसकी यही वजह रही कि उन्हें हटाने की कहानी भी त्रिवेंद्र सिंह रावत के हटने के साथ ही शुरू हो गयी।

 

इसके साथ ही भाजपा आला कमान अब जल्द ही कुछ और बड़े नेताओं के पर काटने की भी तैयारी कर रही हैं। इसी कड़ी में अगले कुछ महीनों में उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में भी फेरबदल किया जा सकता है। लेकिन यह पूरा फेरबदल स्थानीय समीकरण और जातीय समीकरण को देखते हुए किया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अगले 3-4 महीने के भीतर पार्टी में चल रही उठापटक को न सिर्फ शांत करना होगा बल्कि सबको साथ लेकर चलते हुए पूरी रणनीति भी बनानी होगी। इसके लिए तीरथ सिंह रावत को आलाकमान ने भी दिशा निर्देश दे दिए हैं।

 

उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी चार गुटों में फंसी हुई है। भारतीय जनता पार्टी में एक खेमा पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के समर्थकों का है। दूसरा खेमा कुमाऊं के बड़े नेता अजय भट्ट का है। तीसरा खेमा धन सिंह रावत और चौथा खेमा अनिल बलूनी के समर्थकों का है। यह सभी कद्दावर नेता अपने-अपने क्षेत्रों में न सिर्फ मजबूत पकड़ रखते हैं बल्कि आलाकमान तक इनकी पहुंच भी है। लेकिन आपस में टकराव के चलते प्रदेश भाजपा में अंदर ही अंदर फूट भी पड़ी हुई है। केंद्रीय संगठन का मानना है जब तक इस अंदरूनी फूट को कंट्रोल नहीं किया जाएगा तब तक उत्तराखंड में भाजपा के लिए चैलेंज बना रहेगा।

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