उत्तराखंड

दो दर्जन गांवों को जलापूर्ति करने वाले बौन्स्याड़ी गदेरा का अस्तित्व संकट में…..

गदेरे के अस्तित्व को बचाने के लिये ग्रामीण और प्रशासन आया आगे…

संसाधनों के विकास, संरक्षण एवं उपयोग की कार्य योजना पर कार्य शुरू….

रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले में लोक पुरुषार्थ को जागृत एवं संगठित कर अपने संसाधनों के विकास, संरक्षण एवं उपयोग की एक महत्वपूर्ण कार्ययोजना पर काम शुरू हो गया है। लगातार सूखते जा रहे गधेरों, धारों को पुनर्जीवित कर, सदाबहार करने के सभी गांवों में प्रयास किये जा रहे हैं। जल संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे हैं और ग्रामीण समितियों का गठन किया जा रहा है। ये समितियां खंतियों, ताल-तलइयों का निर्माण कर उनके चारों तरफ उन्नत किस्म की घासों का रोपण करने के साथ ही गधेरे के दोनों ओर उपलब्ध भूमि पर चारापत्ती और अन्य स्थानीय उपयोग के वृक्षों का रोपण कर पानी, घास-चारा और ग्रामीण उद्यमों को कच्चा माल उपलब्ध कराने की बहुमुखी योजना का क्रियान्वयन करेंगी।

नैणी देवी पर्वत शिखर से निकलकर अलकनंदा में विलीन होने वाला बौन्स्याड़ी गधेरा अपने तटवर्ती लगभग 2 दर्जन गांवों को जलापूर्ति करने का मुख्य आधार रहा है। जनसंख्या और उसकी बढ़ती जरूरतों का बोझ झेलते यह गधेरा अब दम तोड़ने की कगार पर पहुंच गया है, जिससे पानी के साथ ही चारा व लकड़ी का संकट बढ़ता जा रहा है। देश और दुनिया में जल-संकट के समाधान के अभिनव प्रयासों को स्वयं ग्रामीण आगे बढ़ाएं, इस विचार से जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने जिले के गधेरों को सदाबहार बनाने की योजना बौंस्याड़ी गधेरे के कायाकल्प से आरम्भ की है। इस योजना की विशेषता यह होगी कि कुछ दिशा-निर्देशों और मानकों के साथ स्थानीय ग्रामीण ही इसका क्रियान्वयन करेंगे, जिसमें उनके अनुभवजनित ज्ञान के साथ नवीन विज्ञान और प्रोद्यौगिकी का भी समन्वय होगा।

इसके लिए नोडल एजेंसी सिंचाई विभाग को बनाया गया है, लेकिन वह केवल वित्तीय एवं तकनीकी मार्गदर्शन तक सीमित रहेगी। कार्ययोजना का संचालन ग्राम स्तर पर गठित समितियां करेंगी। इन समितियों का गठन भी जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने अपनी मौजूदगी में ग्रामीणों की बैठक आयोजित कर सर्वसम्मति से कराया है और उन्हें भरोसा दिया है कि उन्हें पूरा सहयोग एवं संरक्षण दिया जाएगा।

समितियों का ब्यौरा देते हुए इस कार्यक्रम के संयोजक सतेंद्र सिंह भंडारी और नोडल अधिकारी प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि इस कार्यक्रम से जुड़े गांवों, क्वीली, कुरझण और ढौढ़िक में उन्हीं गांवों की महिला मंगल दल की अध्यक्ष के नेतृत्व में नदी जल संरक्षण एवं संवर्द्धन समितियां गठित की गई हैं। इसके साथ ही तीनों गांवों में 2-2 जरूरतमंद, लेकिन कर्मठ महिलाओं को अल्प मासिक मानदेय पर कार्यक्रम रक्षक के रूप में सर्वसम्मति से चयनित किया गया है। इस अभियान में चिपको आंदोलन के प्रणेता चंडी प्रसाद भट्ट, वृक्षमित्र जगत सिंह जंगली, मैती आंदोलन के प्रणेता कल्याण सिंह रावत, पाणी राखो आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानंद भारती सहित अनेक पर्यावरण विदों एवं विशेषज्ञों का समर्थन और सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। ग्राम पंचायत क्यूडी के तोक ढौढ़िक में जल संवर्द्धन एवं पर्यावरण सुरक्षा के सन्दर्भ बैठक भी आयोजित की गयी।

बैठक की अध्यक्षता निवर्तमान प्रधान वीरपाल सिंह नेगी द्वारा की गई। इस मौके पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल, वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश पहाड़ी, पूर्व प्रधान क्यूड़ी महेन्द्र सिंह नेगी, अधिशासी अभियन्ता सिंचाई विभाग प्रताप सिंह बिष्ट, अधिशासी अभियन्ता सिंचाई खण्ड केदारनाथ हुकुम सिंह रावत, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी हरीश चन्द्र शर्मा सहित अन्य मौजूद थे।

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