उत्तराखंड

केदारनाथ के इतिहास में पहली बार तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज !

आपदा के बाद से निम केदारनाथ में दर्ज कर रही है तापमान

मौसम विज्ञानी असहमत तो पर्यावरणविद इसे ग्लोबल वार्मिंग का बता रहे हैं असर 

केदारनाथ। केदारनाथ में मौसम में आए अचानक बदलाव ने पर्यावरणविदों के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी है। केदारनाथ में शनिवार और रविववार को दर्ज किया गया तापमान आप सभी को हैरत में डाल देगा। हालांकि मौसम विज्ञानी तापमान बढ़ने की घटना को सिरे से खारिज कर रहे हैं।

दरअसल, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) केदारनाथ आपदा के बाद से केदारपुरी का तापमान दर्ज करता आ रहा है। समुद्रतल से करीब साढ़े ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में शनिवार को 31 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया, जबकि रविवार को तापमान अधिकतम 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। यह एक तरह से अभूतपूर्व घटना है। इससे पहले केदारपुरी में 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज नहीं किया गया। इस अनोखी घटना ने मौसम विभानी और पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है।

मौसम विज्ञानिकों की माने तो केदारनाथ से कम ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के तापमान में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। यह सभी धामों की जलवायु एक जैसी ही है। देहरादून मौसम केन्द्र के निदेशक डॉ विक्रम सिंह का कहना है कि केदारनाथ जैसे स्थान पर तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ता। वहीं वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान हिमनद विशेषज्ञ डॉ डीपी डोभाल का कहना है कि चौराबाड़ी ताल का जल प्रवाह अभी सामान्य है। ऐसे में तापमान सामान्य रहना चाहिए।

इधर, निम के केदारनाथ इंचार्ज देवेन्द्र नेगी का कहना है कि निम की टीम आपदा के बाद से केदारपुरी का तापमान दर्ज कर रही है। इससे पूर्व इतना तापमान दर्ज नहीं किया गया। इस संबंध में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि केदारनाथ में मौसम विभाग की आब्जर्वेटरी न होने के कारण प्रशासन निम से ही तापमान लेता है। इस संबंध में मौसम विज्ञानिकों से बात की जाएगी। इस घटना के बाद पर्यावरणविद चिंतित दिखाई दे रहे हैं। पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का कहना है कि केदारनाथ में 30 डिग्री से ऊपर तापमान होना सामान्य घटना नहीं है। हिमालयी क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग का ही असर है कि तापमान तेजी से बढ़ रहा है। जंगलों में मानव हस्तक्षेप तेजी से बढ़ रहा है। केदारनाथ जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण काम भी इसकी वजह हो सकती है।

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