देश/ विदेश

फोन-पे को रिजर्व बैंक ने दी अकाउंट्स एग्रीगेटर के तौर पर काम करने की सैद्धांतिक मंजूरी..

फोन-पे को रिजर्व बैंक ने दी अकाउंट्स एग्रीगेटर के तौर पर काम करने की सैद्धांतिक मंजूरी..

आपका कौन-सा डाटा किया जा सकता है एक्‍सचेंज..

 

 

देश-विदेश: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पेमेंट ऐप फोन-पे को अकाउंट एग्रीगेटर के तौर पर काम करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी हैं। फोन पे ने कहा कि लाइसेंस मिलने से वह अपने अकाउंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की सहमति से डाटा एक्सचेंज की सुविधा दे पाएगा। यूजर्स का फाइनेंशियल डाटा फाइनेंशियल इनफॉर्मेशन यूजर्स और फाइनेंशियल इनफॉर्मेशन प्रोवाइडर्स के बीच तेजी से और सुरक्षित तरीके से एक्सचेंज होगा। इससे यूजर्स को जल्द और सस्ती फाइनेंशियल सर्विसेज लेने में मदद मिलेगी।

 

फोन पे के सह-संस्‍थापक और सीटीओ राहुल चारी का कहना हैं कि अकाउंट एग्रीगेटर लाइसेंस से कंपनी को सहमति के साथ फाइनेंशियल डाटा शेयर करने के लिए इको-सिस्टम बनाने में काफी मदद मिलेगी। उनका कहना था कि आरबीआई के देशभर में फाइनेंशियल सर्विसेज को पहुंचाने के मकसद में सहयोग करने के लिए फोन-पे इंडस्ट्री के सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर काम करेगी। कस्टमर्स का फाइनेंशियल डाटा बैंकों और अन्य इंस्टीट्यूशंस के पास होता है। अकाउंट एग्रीगेशन के जरिये कई अकाउंट्स से डाटा को जुटाकर एकसाथ रखा जाता है। इनमें डिपॉजिट, इनवेस्टमेंट, इंश्योरेंस पॉलिसी और पेंशन स्कीम से जुड़ा डाटा शामिल हो सकता है।

 

आरबीआई ने साल 2016 में लाइसेंस वाली नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज को कस्टमर्स की सहमति के साथ अकाउंट एग्रीगेशन सर्विसेज उपलब्ध कराने की अनुमति दी थी। अकाउंट एग्रीगेटर्स का नियमन आरबीआई, पूंजी बाजार नियामक सेबी बीमा नियामक इरडा और पेंशन नियामक पीएफआरडीए करते हैं। ये पूरी तरह से इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी से संचालित होते हैं। आसान शब्‍दों में समझें तो अकाउंट एग्रीगेटर्स यूजर्स का डाटा स्‍टोर नहीं कर सकते हैं। ये सिर्फ रियल टाइम एक्‍सचेंज की सुविधा उपलब्‍ध करा सकते हैं। आपको बता दें कि इस समय करीब 12 बैंक और इंस्‍टीट्यूशंस एफआईयू और एफआईपी फ्रेमवर्क को लागू करने के अलग-अल्ग फेज में हैं।

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top