उत्तराखंड

प्रदेश के खेल प्रशिक्षकों का मानदेय 15 से बढ़ाकर 48 हजार करने की तैयारी..

प्रदेश के खेल प्रशिक्षकों का मानदेय 15 से बढ़ाकर 48 हजार करने की तैयारी..

 

 

 

 

 

भारतीय खेल प्राधिकरण की तर्ज पर खेल विभाग द्वारा संविदा पर कार्यरत खेल प्रशिक्षकों का मानदेय 15 से बढ़ाकर न्यूनतम 48 हजार रुपये करने की तैयारी है। निदेशालय में आयोजित खेल विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इसके समाधान के लिए अधिकारियों को खेल मंत्री रेखा आर्य ने प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: भारतीय खेल प्राधिकरण की तर्ज पर खेल विभाग द्वारा संविदा पर कार्यरत खेल प्रशिक्षकों का मानदेय 15 से बढ़ाकर न्यूनतम 48 हजार रुपये करने की तैयारी है। निदेशालय में आयोजित खेल विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इसके समाधान के लिए अधिकारियों को खेल मंत्री रेखा आर्य ने प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। मंत्री का कहना हैं कि खेल प्रशिक्षकों को पहाड़ चढ़ाने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए मानदेय बढ़ाया जाना जरूरी है। खेल मंत्री के अनुसार राज्य में लगभग 200 खेल प्रशिक्षक संविदा पर हैं। खासकर पर्वतीय जिलों में इनकी पिछले काफी समय से कमी है। इसकी एक वजह इनका बहुत कम मानदेय है।

कुछ खेल प्रशिक्षकों को पीआरडी सैनिकों से कम मानदेय दिया जाता है। विभाग को पर्याप्त और अच्छे खेल प्रशिक्षक मिल सकें, इसके लिए साई की तर्ज पर इनका मानदेय बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया है। साई में खेल प्रशिक्षक को न्यूनतम मानदेय 48,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। विभिन्न श्रेणियों के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। इसी तरह खेल विभाग में भी मानदेय बढ़ाया जाएगा, लेकिन मानदेय के लिए जो अर्हता साई की है, वही अर्हता होनी चाहिए।

खिलाड़ियों को सीधे नौकरी के लिए शासन को भेजा प्रस्ताव..

खेल मंत्री का कहना हैं कि राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को दो हजार ग्रेड पे के प्रस्ताव तो वित्त विभाग ने लौटा दिया था। अब विभाग की ओर से फिर से प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है। शासन की ओर से पंजाब, हरियाणा, यूपी आदि में इसे लेकर किस तरह की व्यवस्था है उसका अध्ययन किया जा रहा है।

हरिद्वार जिले में बच्चों की कम संख्या पर जताई नाराजगी..

खेल मंत्री रेखा आर्य ने हरिद्वार जिले में मुख्यमंत्री खिलाड़ी उदीयमान उन्नयन योजना के तहत मात्र 240 बच्चों को लाभ मिलने पर नाराजगी जताई। मंत्री का कहना हैं कि योजना के तहत हर जिले में 150 बालक और 150 बालिकाओं को लाभ दिया जाना है। इतना बड़ा जिला होने के बाद भी पर्याप्त खिलाड़ियों का चयन न हो पाना चिंता का विषय है।

 

मंत्री ने कहा इस तरह के मामलों में अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। बैठक में विशेष प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण अभिनव कुमार,निदेशक खेल जितेंद्र सोनकर,संयुक्त निदेशक धर्मेंद्र भट्ट ,संयुक्त निदेशक एसके. सार्की,सहायक निदेशक खेल एसके. डोभाल,महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के प्रधानाचार्य राजेश ममगाई आदि मौजूद रहे।

 

 

 

 

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