उत्तराखंड

दोबारा खुलेगी पांच साल में हुए अंतरधार्मिक विवादों की फाइल..

दोबारा खुलेगी पांच साल में हुए अंतरधार्मिक विवादों की फाइल..

पुलिस मुख्यालय ने मांगा ब्योरा..

 

 

 

 

 

 

प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू होने के बाद से अब तक हुए सभी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल फिर से खुलने जा रही है। ये सभी मामले युवतियों और किशोरियों के अपहरण से संबंधित हैं।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू होने के बाद से अब तक हुए सभी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल फिर से खुलने जा रही है। ये सभी मामले युवतियों और किशोरियों के अपहरण से संबंधित हैं। इसमें देखा जाएगा कि इनमें कहीं धर्म परिवर्तन कराने की बात तो नहीं है। ऐसा हुआ तो धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र जारी कर ऐसे मुकदमों और लिखित शिकायतों का ब्योरा मांगा है।

आपको बता दे कि प्रदेश में अंतर धार्मिक व अंतरजातीय शादियों के लिए साल 2018 में कानून लाया गया था। जिसके तहत अब प्रदेश में पिछले पांच सालों में हुई अंतर धार्मिक व अंतरजातीय शादियों की दोबारा से जांच होगी। ऐसी शादियों में कानून का पालन किया जा रहा है या नहीं इसकी जांच की जाएगी।

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत अगर कोई भी धर्म परिवर्तन करता है उसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।अब ऐसे मामलों की सभी जिलों के एसएएसपी व एसपी से जांच कराई जाएगी। जांच में देखा जाएगा कि 2018 के बाद अब तक जितनी भी अंतरजातीय या अंतरधार्मिक शादियां हुए हैं उसमें कानून का पालन किया गया है या नहीं।

जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर हो सकती है 10 साल की सजा..

साल 2018 में आए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत अगर कोई जबरन धर्म परिवर्तन की कोशिश करता है तो उसे कम सजा का प्रावधान था। लेकिन साल 2022 में इसमें संशोधन किया गया। जिसके बाद जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रवाधान कर दिया गया है।

 

 

 

 

 

 

 

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