उत्तराखंड

नवदम्पति ने किया फलदार वृक्ष का रोपण

नवदम्पति ने किया फलदार वृक्ष का रोपण 25 सालों से चल रहा मैती आंदोलन का यह कार्यक्रम मलाऊ-चोपता में वर-वधु ने किया पौध का रोपण

रुद्रप्रयाग। मैती आंदोलन कार्यक्रम के तहत तल्लानागपुर क्षेत्र के मलाऊ-चोपता में नवदम्पति ने फलादार पौधे का रोपण किया। इस अवसर पर वर-वधु ने पौधे के संरक्षण का संकल्प भी लिया।

विगत पच्चीस सालों से मैती आंदोलन के तहत पौधों का रोपण किया जा रहा है, जिसका मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है और आने वाले पीढ़ी को प्रेरणा देना हैं। मलाऊ-चोपता में घरातियों एवं बरातियों की मौजूदगी में वर जीतेन्द्र करासी एवं वधु नीलम ने मैती आंदोलन में भाग लेकर एक फलदार पौधे का रोपण कर ताउम्र इसके इसके पोषण का भरोसा दिलाया। इस शुभ अवसर पर दूल्हा एवं दूल्हन को मैती से संबंधित विभिन्न जानकारियां दी गई। मैती आंदोलन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश बशिष्ठ के नेतृत्व में वर-वधू ने पौधे का रोपण किया। श्री बशिष्ठ ने बताया कि मैती आंदोलन के तहत रोपे गये पौधों के रोपण की जिम्मेदारी भी वर-वधू की होती है, जिस पेड़ को वे लगाते हैं उनकी सुरक्षा भी उन्हें ही करनी है। कहा कि पचास वर्ष उम्र का पेड़ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 17 लाख रूपये तक की सेवायें प्रदान करता है। शादी की यादगार में लगाया गया पेड़ पितृ ऋण से भी मुक्ति दिलाता है। उन्होंने बताया कि शादी, जन्मदिन सहित अन्य खुशियों के मौके पर मैती आंदोलन का आयोजन हकिया जाता है। श्री बशिष्ठ ने कहा कि मौजूदा समय में दो सौ से अधिक गांवों में मैती आंदोलन चल रहा है, जिसके संचालन में पांच सौ महिलाएं जुड़ी है और आंदोलन में अब दस हजार से अधिक पौधों को रोपा जा चुका है।

उन्होंने कहा कि पौधों के रोपण करने का मकसद पर्यावरण को बचाना है और लोगों को जागरूक करना है। मैती आंदोलन ने वृहद रूप ले लिया है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि एक वृक्ष लगाना सौ कन्याओं को दान देने के बराबर है। बताया कि मैती आंदोलन की शुरूआत वर्ष 1994 से शुरू हुई, तब से यह अनवरत जारी है। इस आंदोलन से युवतियों का भावनात्मक एवं रचनात्मक लगाव हैं। इस मौके पर नेहा, कंचन, निषा, सुधा, अंजली, लवली, पिंक्की, काजल, सलोनी, बिपाशा सहित कई मौजूद थे।

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