एक अक्तूबर से उत्तराखंड में शुरू होगी धान की खरीद..
नौ लाख मीट्रिक टन रखा लक्ष्य..
खाद्य मंत्री रेखा आर्य ने 2022-2023 खरीफ फसल की योजनाओं की जांच के लिए मंगलवार को समीक्षा बैठक ली। मंत्री ने सचिवालय सभागार में एक बैठक के दौरान घोषणा की कि राज्य 1 अक्टूबर से धान खरीदना शुरू कर देगा।
उत्तराखंड: खाद्य मंत्री रेखा आर्य ने 2022-2023 खरीफ फसल की योजनाओं की जांच के लिए मंगलवार को समीक्षा बैठक ली। मंत्री ने सचिवालय सभागार में एक बैठक के दौरान घोषणा की कि राज्य 1 अक्टूबर से धान खरीदना शुरू कर देगा। इस साल धान की कीमत में 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। ग्रेड ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रुपये से बढ़ाकर 2060 रुपये और सामान्य धान की कीमत 1940 रुपये से बढ़ाकर 2040 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है।
खाद्य मंत्री का कहना हैं कि इस सीजन में धान खरीदने का लक्ष्य 9 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। धान खरीद के लिए विभागीय अधिकारियों की सभी योजनायें पूरी की जाये। धान खरीद केंद्रों पर सीजनल स्टाफ जैसे चौकीदारों और कंप्यूटर ऑपरेटरों को काम पर रखा जाए। इसके साथ ही सभी केंद्रों पर धान खरीद स्थानों पर कांटे लगाए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 1 अक्टूबर से शुरू होने वाली धान की खरीद किसी भी तरह से बाधित न हो।
विभागीय मंत्री ने एक अक्टूबर से 15 अक्टूबर के बीच सरकारी एजेंसियों से धान खरीदने और उसके बाद कमीशन आधारित एजेंटों के माध्यम से किसानों से धान खरीदने का आदेश दिया। मंत्री का कहना हैं कि खरीफ सीजन के लिए कुल 9 लाख मीट्रिक टन धान का लक्ष्य रखा गया था।
विभागीय मंत्री का कहना हैं कि चार एजेंसियों खाद्य विभाग, सहकारिता विभाग, नैफेड और एनसीसीएफ को धान खरीदने के लिए नामित किया गया है। खरीफ सीजन में करीब 257 खरीद केंद्र खोले गए हैं। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने देहरादून, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल जनपदों के डीएम को निर्देश दिया कि चालू सीजन में कितने हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई एवं इसका कितना उत्पादन हुआ जल्द ही इसकी जानकारी दें।
बैठक में मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे स्थानीय उत्पाद जिनका केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ है, जिनमें मंडुआ, मक्का, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, तिल, ज्वार आदि शामिल हैं। इनके खरीद के लिए एक कार्ययोजना तैयार करें। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पहाड़ के स्थानीय काश्तकारों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए यह पहल वरदान साबित होगी। इससे पहाड़ के स्थानीय उत्पादों को एक नई पहचान मिलेगी। साथ ही पहाड़ के किसान भी लाभान्वित होंगे।