उत्तराखंड

उद्योग के नाम पर भू खण्डों पर बना दिये आवासीय भवन

उद्योग के नाम पर भू खण्डों पर बना दिये आवासीय भवन,मिनी इंडस्ट्यिल एरिया में जमीन का बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने ,जिलाधिकारी ने मामले में बिठाई जांच

रुद्रप्रयाग। मिनी इंडस्ट्रियल एरिया भटवाड़ीसैंण में जमीन का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। अधिकारियों की मिलीभगत से औद्योगिक इकाई स्थापित करने के नाम पर आवंटित भू-खण्डों पर आवासीय भवन बना दिये गये हैं और अब अधिकारी अपनी खामियों को छुपाने के लिए नोटिस जारी करने की बात कर रहे हैं। वहीं भूखण्डों की चारदीवारी न होने से यहां अवैध अतिक्रमण भी होने लग गये हैं।

जनपद में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भटवाड़ीसैंण में मिनी इंडस्ट्रियल एरिया स्थापित किया गया। यहां पर कुल पांच हजार 187 हेक्टेयर भूमि को अधिगृहित कर पचास प्लांटों में बदला गया। विभाग ने औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए चालीस भू-खण्ड 11 इकाइयों को आवंटित भी किये, मगर वर्तमान में यहां महज छः इकाइयां ही संचालित हैं। वहीं कई भू-खण्ड स्वामियों द्वारा यहां इकाई स्थापित न करते हुए अपने लिए आवासीय भवन बना डाले और व्यवसायिक गतिविधियों के वजाय आवासीय गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। इधर, विभाग की अनदेखी के चलते सरकारी जमीनों पर अब अवैध अतिक्रमण भी होने लगा है, जिससे इंडस्ट्रियल एरिया रिहायशी एरिया में तब्दील होता दिख रहा है। चार प्लाटों पर एक आवासीय कोटी बनी हुई है तो दो अन्य इकाइयों ने भी अपनी छतों पर आवास बना दिये हैं। स्थानीय लोगों का कहना है जमीनें उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए दी गयी थी, मगर यहां उद्योग लगना तो दूर अब अधिकारियों की मिलीभगत से जमीनों पर आवासीय भवन बनने लगे हैं। भटवाडी सैंण में जो इकाइयां लगी भी हैं, उनके संचालन में भी विभागीय समन्वय नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि यहां बडे़े स्तर पर औद्यौगिक इकाइयां संचालित नहीं हो पा रही हैं और जो इकाइयां लग भी रही हैं वह भी समन्वय न होने से बंदी की ओर बढ़ रही हैं।

इस मसले को लेकर जब उद्योग विभाग के महाप्रबन्धक पीएस सजवाण से जानकारी ली गयी तो उनका कहना था कि पूर्व में संबंधित फर्मों द्वारा इकाई स्थापित करने का नख्शा दिखाया गया था और अब तीन फर्मों को नोटिस जारी किया जा रहा है। मिनी इंडस्ट्रियल एरिया के व्यवसायिक भू-खण्डों पर आवास भवन बनाने के मामले में डीएम ने भी संज्ञान लिया है। डीएम ने औद्यौगिक भूखण्डों पर भवन निर्माण को गम्भीर मामला बताया और महाप्रबन्धक उद्योग को मामले की जांच करते हुए उद्योग नीति के प्राविधानों के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।

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