अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश पर उत्तराखंड में बढ़ेगा ओबीसी आरक्षण..
उत्तराखंड: प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का दबाव बढ़ने जा रहा है। जिसके बाद अब राज्य में ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने और क्रीमीलेयर का दायरा संशोधित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। ओबीसी आयोग पहले ही राज्य सरकार से इसकी सिफारिश कर चुका है। इस संबंध में कई राजनीतिक दलों और ओबीसी नेताओं का कहना है कि उत्तराखंड बनने के समय ओबीसी के लिए 14 फीसदी आरक्षण तय किया गया था। अब राज्य बने 20 साल से अधिक हो चुके हैं और इस दौरान ओबीसी का दायरा भी बढ़ा है तो पिछड़े वर्ग के लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आरक्षण बढ़ाया जाना जरूरी है।
लोकसभा में सोमवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संविधान संशोधन बिल पेश होने के बाद ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण और क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाने की वकालत शुरू हो गई है। उत्तराखंड में ओबीसी के लिए अभी सालाना आठ लाख रुपये का दायरा तय है। इससे अधिक आय पर इस वर्ग के लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पाती है। इस वर्ग से जुड़े कई लोगों का कहना है कि महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। ओबीसी आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा का कहना हैं कि राज्य में सालाना आय का मानक काफी समय पहले से निर्धारित है। वर्तमान में इसे संशोधित किया जाना जरूरी है। उनका कहना है कि यदि ओबीसी वर्ग के लोगों के साथ इंसाफ करना है तो क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ानी होगी।
वर्मा ने कहा कि पहले ओबीसी सर्टिफिकेट की वैधता छह माह तक थी। उनकी पैरवी के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार में इसकी वैधता बढ़ाकर तीन साल तक कर दिया था। वर्मा ने कहा कि अब इसकी वैद्यता को और बढ़ाया जाना चाहिए। उधर, आयोग की अध्यक्ष डॉ.कल्पना सैनी का कहना है कि जातिवार जनगणना न होने से ओबीसी समुदाय का हक मारा जा रहा है। यदि उत्तराखंड में जातिवार जनगणना की जाए तो ओबीसी समुदाय की संख्या काफी बढ़ सकती है। इसके बाद ही इस समुदाय के लोगों को वास्तव में सही लाभ मिल सकेगा।