एनआईटी श्रीनगर के 900 छात्रों ने एक साथ छोड़ा कॉलेज…
छात्र-छात्राएं चार अक्तूबर से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे….
स्थायी कैंपस का निर्माण और सुविधाओं की मांग के लिए धरना दे रहे छात्र-छात्राएं….
उत्तराखंड : उत्तराखंड के श्रीनगर स्थिति राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 900 छात्रों ने एक साथ कॉलेज छोड़ दिया है। इसके पीछे ऐसी वजह है जिसके लिए कॉलेज के सैकड़ों छात्र करीब 20 दिन से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। 3 अक्तूबर को बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर एक बेकाबू कार ने एनआईटी की दो छात्राओं को टक्कर मार दी थी।
घटना से आक्रोशित संस्थान के छात्र-छात्राएं चार अक्तूबर से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। छात्र-छात्राएं सुविधाजनक अस्थायी कैंपस में शिफ्टिंग, स्थायी कैंपस का निर्माण और सुविधाओं की मांग के लिए धरना दे रहे हैं। मंगलवार को संस्थान के करीब 900 छात्रों ने कॉलेज छोड़ दिया हैं। इनमें वह छात्र भी शामिल हैं जो छुट्टियों में घर गए हुए हैं। छात्रों ने हॉस्टल खाली कर दिए और अपने सामान के साथ प्रदर्शन किया। कैंपस हॉस्टलों में ताले लगा दिए गए हैं। इस संबंध में छात्रों ने ज्ञापन जारी किया है।
वर्ष 2009 में स्वीकृत एनआईटी उत्तराखंड का अस्थायी कैंपस वर्तमान में श्रीनगर स्थित पॉलीटेक्निक के परिसंपत्ति में संचालित हो रहा है।
जबकि स्थाई कैंपस के लिए श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर सुमाड़ी में भूमि चयनित की गई है। परन्तु कतिपय कारणों से अभी तक स्थाई कैंपस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। वहीं गढ़वाल विवि छात्र संघ उपाध्यक्ष अंकित उछोली, आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अतुल सती, नगर इकाई अध्यक्ष शिवानी पांडेय और सचिव कपूर सिंह ने प्रेस को बयान जारी करते हुए कहा है कि शिफ्टिंग की मांग के पीछे पहाड़ विरोधियों का छुपा एजेंडा काम कर रहा है।
राष्ट्रीय महत्व के संस्थान को कुछ लोग पहाड़ में नहीं बनने देना चाहते हैं, जिसके लिए छात्रों को मोहरा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आइसा एनआईटी के छात्रों की स्थायी कैंपस निर्माण, फैकल्टी, हॉस्टल सुविधाओं और बेहतर लैब स्थापित करने की मांग का समर्थन करती है, लेकिन कैंपस शिफ्टिंग की मांग को हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रगतिशील जन मंच ने नगर में पेयजल, स्वास्थ्य व एनआईटी के स्थाई परिसर निर्माण के मुद्दों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। कहा कि मांगों के लिए कई बार शासन प्रशासन को ज्ञापन सौंपने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
सोमवार को प्रजम के अध्यक्ष अनिल स्वामी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि श्रीनगर व पौड़ी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने वाली योजना का काम अभी तक पूरा नही हो पाया है। जबकि निर्माण कार्य के लिए पेयजल निगम देवप्रयाग को 10 करोड़ पांच लाख की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। एनआईटी के स्थाई परिसर निर्माण, मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं में सुधार व पानी के बिलों से संबंधित समस्याओं का हल नही हो पाया है। कहा कि मांगों को पूरा करने के लिए शासन प्रशासन की ओर से मिले आश्वासन के बाद प्रजम ने अपना आंदोलन 31 मई को स्थगित कर दिया था। तब से कई बार मांगों के ज्ञापन भेजे व सौंपे भी गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। अब प्रजम मांगों के लिए 10 नवंबर से आंदोलन शुरू करेगा।