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विदेश मंत्रालय ने पत्र पर दी सफाई, डॉ. वीके पॉल को दिया था सुझाव..

विदेश मंत्रालय ने पत्र पर दी सफाई, डॉ. वीके पॉल को दिया था सुझाव..

 

देश – विदेश  : इस पत्र में कई मुद्दों को तथ्यात्मक ढंग से उठाया गया है। इसमें टीकाकरण को लेकर विचाराधीन किसी मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी या राय नहीं दी है।

विदेश मंत्रालय (MEA) ने कोवैक्सीन व स्पुतनिक टीकों को लेकर उसके द्वारा कोविड टीकाकरण पर अधिकार प्राप्त समूह के संयोजक डॉ वी के पॉल को भेजे पत्र पर सफाई दी है। मंत्रालय ने कहा कि मीडिया में आई रिपोर्ट आंतरिक पत्राचार का हिस्सा है और उसे बगैर संदर्भ के गलत ढंग से चित्रित किया गया है। पत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भारत बॉयोटेक के टीकों की आपूर्ति निलंबित किए जाने व स्पुतनिक वी टीका को लेकर कुछ सुझाव दिए गए थे।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि डॉ. पॉल को लिखे पत्र को लेकर मीडिया रिपोर्ट में गलत ढंग से संदर्भित किया गया है। यह टीकाकरण पर अधिकार प्राप्त समूह-5 को आंतरिक रूप से लिखा गया था। यह समूह टीकाकरण से संबंधित सारे मसलों पर व्यापक रूप से विचार करता है। इस पत्र में कई मुद्दों को तथ्यात्मक ढंग से उठाया गया है। इसमें टीकाकरण को लेकर विचाराधीन किसी मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी या राय नहीं दी है।

इससे पहले आई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि विदेश मंत्रालय ने डॉ. पाल को पत्र में कहा है कि यूएन की खरीद एजेंसियों द्वारा कोवैक्सीन टीकों की आपूर्ति निलंबित करने के बाद डब्ल्यूएचओ द्वारा टीके के आपात उपयोग की मंजूरी को रद्द किए जाने से बचने के लिए भारत बायोटेक को तत्काल ध्यान देना होगा। पत्र में विदेश मंत्रालय ने कहा कि टीकों और भारतीयों की अंतरराष्ट्रीय यात्रा को लेकर अनेक मुद्दे सामने आए हैं और इन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पत्र में कहा कि कोवैक्सीन को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध (ईयूएल) करने के लिए 14 मार्च को भारत बायोटेक के परिसरों के निरीक्षण के बाद डब्ल्यूएचओ ने अच्छी विनिर्माण प्रक्रियाओं की कमी के चलते संयुक्त राष्ट्र की खरीद एजेंसियों के माध्यम से टीके की आपूर्ति को निलंबित करने की घोषणा की थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि टीका प्रभावी है और कोई सुरक्षा संबंधी चिंता नहीं है, लेकिन उसने टीके का इस्तेमाल कर रहे देशों को उचित कार्रवाई की सिफारिश की। पत्र में कहा गया है कि भारत बायोटेक को डीसीजीआई और डब्ल्यूएचओ के माध्यम से मामले पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और ऐसी किसी स्थिति से बचना चाहिए जिससे भविष्य में कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की ओर से ईयूएल को निरस्त कर दिया जाए।

पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि हांगकांग समेत कुछ अन्य देशों ने बच्चों के लिए टीकाकरण प्रमाणपत्र मांगना शुरू कर दिया है और वे उनके लिए केवल एम-आरएनए आधारित टीकों को स्वीकार करते हैं। स्पुतनिक वी के संदर्भ में विदेश सचिव ने कहा कि इस टीके को लगवाने वाले लोग अंतरराष्ट्रीय यात्रा नहीं कर पा रहे, क्योंकि अधिकतर देश स्पुतनिक वी को मान्यता नहीं देते जो डब्ल्यूएचओ की आपात उपयोग वाली सूची में शामिल नहीं है।

 

 

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