गर्भवती होने के बाद भी ड्यूटी पर डटी रहीं, ITBP में मेडिकल ऑफिसर डॉ. ज्योति..
उत्तराखंड: चमोली में ग्लेशियर फटने से जो आपदा आई, उस दौरान टनल में फंसे लोगों को बचाने में आठ महीने की प्रेग्नेंट डॉक्टर ज्योति खांबरा ने अहम रोल निभाया। वे ITBP में असिस्टेंट कमांडेंट मेडिकल ऑफिसर हैं। इतिहास गवाह है कि भारतीय नारियों ने विपत्ति और चुनौतियों में मिसाल कायम की है जिनकी फेरहिस्त बहुत लम्बी है। दुनिया भी हिन्दुस्तान की नारी शक्ति का लोहा मानती है जिसका नायब उदाहरण है ज्योति जैसी दिलेर अधिकारी जिनका ज़िक्र आज हर शख्स कर रहा है।
फ़र्ज़ जान से प्यारा हैं- ज्योति..
त्रासदी के बाद मेरे घरवालों के फोन भी आने लगे थे। यह मेरा पहला बच्चा है। मैं मैटरनिटी लीव पर जाने ही वाली थी। सब कह रहे थे कि तुम वहां से निकल जाओ क्योंकि प्रेग्नेंट हो। घर वाले बोले, रास्ते बंद हो सकते हैं, फिर निकल नहीं पाओगे। डिलीवरी में दिक्कत आएगी, इसलिए तुरंत निकल जाओ, लेकिन मैंने डिसाइड किया कि पहले जो लोग टनल में फंसे थे, उन्हें ठीक करना है, उसके बाद ही छुट्टी लेनी है। मैंने पिछले साल ही ITBP जॉइन किया है। अब मैं मैटरनिटी लीव पर अपने घर आ चुकी हूं। बहुत खुशी और फख्र महसूस कर रही हूं कि विपदा की घड़ी में मैं किसी के काम आ सकी। मुझे अपने पति का भी बहुत सपोर्ट मिला। वो हिम्मत बनकर मेरे साथ खड़े रहे। मुझे लगातार मोटिवेट करते रहे।
मीडिया से हुई बातचीत को साझा करते हुए ज्योति बड़े सुकून से बताती हैं कि वो 7 फरवरी का काला रविवार था। चमोली में हर रोज की तरह में घर के बाहर धूप में बैठी चाय पी रही थी। करीब साढ़े नौ बजे मेरे पति आशीष के फोन पर किसी का कॉल आया और उन्होंने बताया कि शायद कोई डैम फट गया है। पानी की काफी तेज आवाज आ रही है।
इसके बाद हमें पता चला कि तपोवन इलाके में ग्लेशियर टूटा है। एकदम से कुछ समझ नहीं आया। TV पर भी खबरें आना शुरू हो गईं। पति फील्ड पर निकल गए। में भी बटालियन में स्थित हॉस्पिटल में पहुंची। हमें बताया गया कि ग्लेशियर टूटने से कई लोगों की जान खतरे में है। इसलिए एक रेस्क्यू टीम तुरंत बनाई गई। मेरे सीनियर डॉक्टर को रेस्क्यू टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचा दिया गया। हॉस्पिटल संभालने की जिम्मेदारी मुझे दी गई।
टनल में फंसे 12 लोगों को शाम को हॉस्पिटल लाया गया..
शाम साढ़े छह बजे 12 लोगों को हॉस्पिटल लाया गया। यह सभी वो लोग थे, जो काम करते हुए टनल में फंस गए थे। उन्होंने हमें बताया कि हम लोग घंटों लोहे की रॉड पकड़कर टनल में लटके रहे। यदि रॉड छोड़ देते तो नीचे गिर जाते और मर जाते। लोगों ने यह भी बताया कि टनल में फंसे होने के दौरान एक शख्स ने गाने गाए। शायरी भी सुनाई। इससे हौसला बढ़ा। वहां पर किसी के भी फोन में नेटवर्क भी नहीं था। अचानक हमारे एक साथी का फोन वाइब्रेट हुआ। उसमें नेटवर्क आ गया था। उसने तुरंत बाहर सूचना दी। वहां से ITBP को सूचना मिली और फंसे हुए लोगों को निकालने का ऑपरेशन शुरू हो गया।