नदी के कटाव से रैणी गांव में मलारी हाईवे पर पड़ी दरारें..
उत्तराखंड: नदी के कटाव के कारण रैणी गांव के निचले क्षेत्र में दरारें पड़ने से मलारी हाईवे पर भी दरारें पड़ गई हैं। यहां कभी भी हाईवे लंबे समय के लिए बंद हो सकता है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से रैणी गांव के किनारे सुरक्षा दीवार का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन धौली गंगा और ऋषि गंगा के भू-कटाव से हाईवे को खतरा बना हुआ है। नीती घाटी में चार दिनों से रुक-रुककर भारी बारिश हो रही है, जिससे हाईवे पर भू-धंसाव हो रहा है।
जोशीमठ से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थित रैणी गांव बीती 7 फरवरी को ऋषि गंगा की त्रासदी के बाद भूस्खलन की चपेट में आ गया था। गांव के निचले हिस्से और नीती घाटी की ओर से भूस्खलन शुरू हो गया। 14 जून को भारी बारिश के दौरान गांव के निचले हिस्से में मलारी हाईवे का करीब 40 मीटर हिस्सा टूटकर धौली गंगा में समा गया था। उसके बाद से गांव में भूस्खलन का दायरा भी बढ़ गया।
मलारी हाईवे को सुचारु करने के लिए सीमा सड़क संगठन के पास भूमि ही नहीं बची तो रैणी गांव के खेत और कुछ मकानों को ध्वस्त कर लगभग 100 मीटर तक नए हाईवे का निर्माण किया गया। अब फिर से यहां भू-धंसाव सक्रिय हो गया है। कुछ दिन पहले ही हाईवे का कुछ हिस्सा नदी में समा चुका है जबकि सड़क के बीचों बीच दरारें आ गई हैं, जिससे हाईवे कभी भी नदी में समा सकता है। चिन्यालीसौड़ बारिश के कारण धरासू तराकोट जिब्या मोटर मार्ग भूस्खलन के कारण कई जगह अवरुद्ध हो गया है। भूस्खलन से एक आवासीय मकान भी खतरे की जद में आ गया है। सड़क के नीचे जमोला के जंगल और पनघट हौड़ा तोक को जाने वाला आम रास्ता भी अवरुद्ध हो गया है।
ग्रामीण भजन सिंह पंवार, चंदन सिंह पंवार, प्रवीन पंवार, उज्ज्वल सिंह, सोहन दास, भगवान, बीर सिंह, सुमेर सिंह ने बताया कि सूरी के ऊपर बना पेयजल टैंक भी सड़क पर हो रहे भूस्खलन से खतरा की जद में है। कहा कि अगर ऐसे ही बारिश होती रही, तो जानमाल का खतरा पैदा हो सकता है। आम रास्ते भूस्खलन से ध्वस्त होने के कारण ग्रामीण अपने मवेशियों को पनघट व जंगल में चुगान के लिए नहीं ले जा पा रहे हैं। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई है।