उत्तराखंड

पीपलकोटी के मेजर प्रीतम सिंह कुंवर को कीर्ति चक्र सम्मान

अदम्य साहस के लिए शांति काल का सर्वोच्च सम्मान

संजय चौहान
कीर्ति चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जाता है। महावीर चक्र के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है।

सैन्य अभियानों में अदम्य साहस और पराक्रम के लिए हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए जाने वाले कीर्ति चक्र के लिए इस साल पांच जवानों को चुना गया है। सीमांत जनपद चमोली के पीपलकोटी के मठ गाँव निवासी मेजर प्रीतम सिंह कुंवर को अदम्य साहस के लिए शांति काल का सर्वोच्च सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जायेगा।

महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 112 वीरता पुरस्कारों की घोषणा की। राष्ट्रपति ने पांच कीर्ति चक्र, 17 शौर्य चक्र, 85 सेना मेडल (वीरता), तीन नौ सेना मेडल व दो वायु सेना मेडल के लिए जवानों व अफसरों का चयन किया है। आतंकी हमले के दौरान अपनी जान की परवाह न करने वाले पांच जवानों को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। इनमें से तीन को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया जाएगा। गोरखा राइफल के हवलदार गिरीश गौरांग, नागा रेजीमेंट के मेजर डेविड मेन्लम व सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार को मरणोपरांत ये पुरस्कार मिला है। गढ़वाल राइफल के मेजर प्रीतम सिंह व सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन कुमार चीता को अद्भुत रणकौशल दिखाने के लिए सम्मान दिया गया है।

गौरतलब है कि प्रीतम सिंह कुंवर सीमांत जनपद चमोली के मठ गाँव के निवासी हैं। 26 मई 2017 को उडी सेक्टर में 4 गढ़वाल के मेजर प्रीतम सिंह कुंवर के नेतृत्व में 17 सदस्यीय टीम ने लंबी मुठभेड़ के बाद 8 आतंकवादीयों को मार गिराया था। जबकि सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार श्रीनगर के नौहट्टा चौक पर आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। 15 अगस्त को झंडा फहराने के बाद वह आतंकियों से मुठभेड़ के लिए रवाना हुए थे। चेतन कुमार चीता भी जम्मू-कश्मीर के हाजिन सेक्टर में आतंकियों का शिकार बने थे। उन्हें नौ गोलियां मारी गई थीं, लेकिन वो इससे उबरकर फिर से जंग के मैदान में लौटने के लिए कमर कस रहे हैं। 14 फरवरी को मुठभेड़ हुई। चीता मूल रूप से राजस्थान से हैं।

मेजर प्रीतम सिंह कुंवर के पिताजी नरेंद्र सिंह कुंवर भी सेवानिवृत्त सुबेदार मेजर हैं। जो भारतीय सेना में रह चुके हैं। जबकि मां रूकमणी देवी गृहणी हैं। मेजर प्रीतम सिंह कुंवर को कीर्ति चक्र से सम्मानित होने पर पूरे मठ गांव, पीपलकोटी, उत्तरी अलकनंदा घाटी और बंड पट्टी में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।

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