उत्तराखंड

केदारनाथ सेंसिटिव जोन पर पुनर्विचार करने की मांग

केदारनाथ सेंसिटिव जोन पर पुनर्विचार करने की मांग , तीर्थ पुरोहित समाज श्री केदारनाथ ने केन्द्रीय मंत्री डाॅ हर्षवर्द्धन एवं सचिव दिलीप जावलकर को भेजा ज्ञापन , इको सेंसिटिव जोन घोषित होने से पुनर्निर्माण कार्य होंगे बाधित

रुद्रप्रयाग। तीर्थ पुरोहित समाज श्री केदारनाथ ने केदारनाथ क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने की अधिसूचना पर पुनर्विचार किये जाने को लेकर केन्द्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन डाॅ हर्षवर्द्धन एवं पर्यटन व धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर को ज्ञापन भेजा है।
ज्ञापन में पुरोहित समाज ने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन परिवर्तन मंत्रालय की ओर से चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के 451.12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है, जिसमें केदारनाथ क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। केदारनाथ एवं केदारघाटी की जनता पहले ही वर्ष 2013 की भीषण आपदा की मार झेल रही है। इको सेंसिटिव जोन घोषित होने से पुनर्निर्माण कार्य बाधित व प्रभावित होंगे। साथ ही स्थानीय निवासियों के सामने अपने रोजी-रोजी व आजीविका की भी गंभीर समस्या उत्पन्न हो जायेगी और छोटे-छोटे कार्यों को कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे।

इतना ही नहीं देश-विदेश से यहां पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि स्थानीय जनता, व्यापारी एवं तीर्थ पुरोहित समाज को विश्वास में लिये बिना क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित न किया जाय। पर्यटन एवं धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर को भेजे ज्ञापन में तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि केदारपुरी में व्यवसाय कर रहे व्यवसायियों को शासन-प्रशासन द्वारा वैली ब्रिज के पार भगवान केदारनाथ के मंदिर से लगभग ढाई सौ से तीन सौ मीटर की दूरी पर व्यवसाय करने के लिए कहा जा रहा है। व्यापारियों का मानना है कि केदारपुरी में पहुंचने व ठहरने वाले थके-हारे यात्रियों को पूजा सामाग्री व अन्य छोटी-मोटी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी तीन सौ मीटर दूर वापस जाना पड़ेगा। केदारनाथ के कपाट बंद होने में मात्र सवा दो महीने का समय शेष है। बाजार को अन्यत्र इतनी दूर शिफ्ट करना किसी के गले नहीं उतर रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।

वर्ष 2013 की आपदा के समय तत्कालीन विजय बहुगुणा एवं हरीश रावत ने केदारपुरी के मुख्य मार्ग के दोनों ओर दस-दस फीट की दुकानों के निर्माण की घोषणा की थी, जिसके एवज में ही स्थानीय लोगों ने अपनी भूनि एवं भवन सरकार को दिये थे। स्थानीय लोगों ने 56 फीट चैड़े मुख्य मार्ग के दोनों ओर दस-दस फीट की दुकाने केदारपुरी में ही बनवायी गई, जिससे बाजार भी व्यवस्थित हो जायेगा। जिन तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ मंदिर के सौन्दर्यीकरण तथा मंदिर प्रांगण के विस्तारीकरण के लिए अपनी भूमि एवं भवन सरकार को दिये हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि वर्ष 2013 की आपदा में ध्वस्त अनन्त श्री विभूषित आदि जगद्गुरू स्वामी शंकराचार्य की समाधि स्थल सहित हंसकुण्ड, उदककुण्ड तथा पौराणिक मंदिरों का पुनः निर्माण एवं मंदिर प्रांगण के दोनों ओर आठ-आठ फीट चैड़ा मार्ग भैवर मंदिर एवं शंकराचार्य समाधि स्थल तक जाने वाले मार्ग को पुनः निर्माण करवाया जाय। ज्ञापन में केदारसभा महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती, केदारघाटी संघर्ष समिति के महामंत्री विपिन सेमवाल, किशन बगवाड़ी, केशव तिवाड़ी, अर्जुन तिवारी, केदारसभा उप मंत्री राजकुमार तिवाड़ी, डीएन वाजपेई, वृजेन्द्र शर्मा, देवेश वाजपेई सहित कई मौजूद थे।

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