उत्तराखंड

केदारघाटी को पर्यटन स्थल नहीं, धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करे सरकार – तीर्थ पुरोहित

केदारनाथ में साल 2013 को आई आपदा को आज 6 साल पूरे हो चुके हैं.  आपदा के बाद केदार घाटी कितनी बदली है इस बारे में  तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों से ग्राउंड जीरो में खास बातचीत की.

केदारनाथ: 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में आई भीषण आपदा को आज 6 साल पूरे हो चुके हैं. यह आपदा हिमालयी क्षेत्र की सबसे बड़ी विनाशकारी आपदा थी. जिसमें सरकारी आंकड़ों के निसाब से लगभग 5 हजार लोग काल के गाल में समा गये. इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे भी शामिल थे.

उस भयानक मंजर को लेकर तीर्थ पुरोहित से बातचीत की. साल 2013 के उस भयानक दिन को याद करते हुए तीर्थ पुरोहित ने बताया कि 15 जून 2013से शुरू हुई बारिश 24 घंटों से लगातार जारी थी.

लगातार जारी बारिश को देखकर एहसास होने लगा था कि यह सामान्य बारिश नहीं है. अगले दिन देर शाम बाबा केदार की आरती खत्म होने के कुछ देर बाद ही अचानक ही पीछे की पहाड़ी से जल सैलाब आया जो चंद मिनटों में ही बाबा केदार के मंदिर को छोड़ आस-पास मौजूद अन्य सभी इमारतों को अपने साथ बहा ले गया.

स्थानीय निवासियों में शासन-प्रशासन के प्रति नाराजगी- तीर्थ पुरोहित

तीर्थ पुरोहित का कहना है कि साल 2013 की आपदा के बाद चारधाम यात्रा पूरी तरह बे-पटरी हो गयी थी, लेकिन सरकार की कोशिशों के बाद यात्रा एक बार फिर पटरी पर आ गई है. केदारनाथ धाम एक बार फिर श्रद्धालुओं से गुलजार होने लगा है लेकिन यहां के निवासियों में शासन-प्रशासन के खिलाफ एक नाराजगी जरूर है.

केदारनाथ धाम को बने धार्मिक स्थल-

तीर्थ पुरोहितपुरोहित के अनुसार राज्य सरकार केदारनाथ धाम को एक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित कर रही है, जबकि इसे एक धार्मिक स्थल के तौर पर विकसित किया जाना था. यही कारण है कि आज गौरीकुंड से पैदल केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए चलने तक की उचित व्यवस्था नहीं है. वहीं, दूर-दूर से आने वाले अमीर पर्यटकों के लिए यहां हेलीकॉप्टर तक की व्यवस्था की गई है.

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