मां हरियाली देवी मायके दानकोट से ससुराल पहुंची
26 वर्ष बाद मायके दानकोट गई थी मां हरियाली
रुद्र्र्रप्रयाग। दस दिनों तक मायके में रहने के बाद मां हरियाली अपने ससुराल जसोली पहुंची। मां के विदा होते समय धियाणियों की आंखों से आंसू छलक गये और भक्त भी साथ में रोने लगे। गढ़वाली रीति-रिवाज के तहत मां को कलेऊ एवं पिंठाई लगाकर विदा किया गया।
नवरात्रों के पर्व पर मां हरियाली देवी अपने ससुराल जसोली से 26 वर्ष बाद दानकोट आई थी। मां का ससुराल रानीगढ़ और मायका धनपुर पट्टी में पड़ता है। लम्बे समय के बाद मां के अपने मायके पहुंचने पर धियाणियों एवं प्रवासियों ने भी गांव की ओर रूख किया। मां के मायके आने के बाद मां हरियाली देवी भागवत एवं महायज्ञ कथा आयोजित किया गया।
गुरू गोरखनाथ मंदिर में आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के संपंन होने के बाद मां को भी अपने ससुराल के लिए विदा किया गया। विदाई के दौरान मां हरियाली देवी ने धियाणियों को गले लगाया, जिसे देखकर श्रद्धालु भी भावुक हो गये। हरियाली देवी मां की विदाई के समय सभी धियाणियों को भी गढ़वाली परम्परा के तहत कलेऊ एवं पिंठाई लगाकर लगाई गई, जिसके बाद मां हरियाली दानकोट से विदा होकर बैंरागणा, महड़, सिल्सर, चिड़पी, बरसूड़ी, संकरोड़ी से कोदिमा होते हुए जसोली पहुंची। ससुराल पहुंचने के बाद मायके दानकोट की ओर बनाये गये विशेष गढ़वाली मिष्ठान कलेऊ को कोदिमा और जसोली ग्राम सभा में वितरित किया गया। इस मौके पर पुजारी पश्वा सच्चिदानंद चमोला, ब्यास गिरीश चन्द्र शैली, मां हरियाली देवी महायज्ञ समिति दानकोट के अध्यक्ष पूरण सिंह, नारायण सिंह, अमर सिंह, प्रेम सिंह, राजेन्द्र सिंह, कुंवर सिंह, बुद्धि सिंह, विनोद सिंह सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।