उत्तराखंड

गैरसैंण जनसंवाद यात्रा का अगस्त्यमुनि में जोरदार स्वागत..

गैरसैंण जनसंवाद यात्रा का अगस्त्यमुनि में जोरदार स्वागत..

रुद्रप्रयाग। गैरसैण स्थाई राजधानी की मांग को लेकर पहाड़ के युवाओं द्वारा पंचेश्वर से उत्तरकाशी तक निकाली जा रही जन संवाद यात्रा 12वें दिन मन्दाकिनी घाटी की हृदय स्थली अगस्त्यमुनि पहुंची। यात्रा के अगस्त्यमुनि पहंुचने पर स्थानीय निवासियों ने दल के सदस्यों का भव्य स्वागत किया। चुनाव आचार संहिता के कारण जनसभा नहीं हो पाई।

मुख्य बाजार में जनसंपर्क करने के बाद गैरसैण समर्थकों ने रामलीला मैदान में बैठक आयोजित की। संघर्ष समिति के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड के मूल भूत सवालों को लेकर हुक्मरानों ने पिछले अट्ठारह वर्षों में उत्तराखंड की जनता को जिस तरह छला है उसको लेकर सवाल पूछने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी प्रदेश की राजधानी गैरसैंण में हो यह राज्य आंदोलन के वक्त से ही हमारी मांग थी, लेकिन भाजपा-कांग्रेस ने लगातार इस मांग को हाशिए पर धकेला। प्रदीप सती ने कहा कि आज हमारा प्रदेश जिन संकटों का सामना कर रहा है, उनके लिए सत्ता में बारी-बारी से रहीं भाजपा कांग्रेस जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ना होगा। गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि झूठे विकास के नाम पर पहाड़ के गाँवों और संस्कृति को खत्म किया जा रहा है जिसका हर हाल में विरोध जरूरी है। सल्ट के जिला पंचायत सदस्य नारायण सिंह रावत और युवा आंदोलनकारी मनीष सुंदरियाल ने कहा कि कृषि उत्तराखंड की रीढ़ रही है लेकिन इसे बड़ी साजिश के तहत खत्म किया जा रहा है ताकि पूंजीपतियों के लिए आसान रास्ता तैयार किया जा सके। युवा आंदोलनकारी मोहित डिमरी ने कहा कि स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए पहाड़ के सभी सवालों को देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार पहाड़ की जमीनों को उद्योगपतियों के हवाले करने की साजिश कर रही है जिसका प्रतिकार करना होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता हरीश गुसाई ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होने से विकास के नये अवसर पैदा होगे, नासूर बने चुके पलायन पर भी स्वतः रोकथाम लगेगी। आज राज्य के तमाम पहाड़ी हिस्से उपेक्षित होते जा रहे, आमजन के लिए बनने वाली नीतियो से पहाड़ गायब है। मूल निवास और भू अध्यादेश जैसे मुद्दो पर सरकारे लगातार चुप्पी साधे है ऐसे में पहाड़ के लिऐ राजधानी पहाड़ की तमाम उपेक्षाओ और समस्याओ के समाधान का विकल्प है। इस अवसर पर पूर्व कनिष्ठ प्रमुख रमेश बेंजवाल, लक्ष्मण सिंह नेगी, उक्रांद नेता मुकेश डोभाल, मनीष सुदरियाल, विनोद डिमरी, नारायण बिष्ट, कालिका काण्डपाल, दीपक बेंजवाल आदि उपस्थित रहे।

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