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90 की उम्र में सड़क पर भीख मांगता मिला यह बुजुर्ग..

90 की उम्र में सड़क पर भीख मांगता मिला यह बुजुर्ग..

देश-विदेश:  ग्वालियर बस स्टैंड के पास बेसहारा हालत में पाया शख्स आईआईटी कानपुर से पास आउट होने के बावजूद भी ग्वालियर की सड़कों पर भीख मांगता नज़र आया। वह 1969 बैच के आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। ग्वालियर स्थित आश्रम स्वर्ग सदन के विकास गोस्वामी ने बताया कि हमने इस शख्स को ग्वालियर बस स्टैंड के पास बेसहारा हालात में पाया था।

जब उनसे बातचीत की तो वह इंग्लिश में बोलने लगे, इसके बाद हम उन्हें आश्रम ले आए और उनके रिश्तेदारों से संपर्क करने की भी कोशिश की और हमसे बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वह 1969 बैच के आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र है। आश्रम में करीब एक महीने पहले ग्वालियर से एक पुलिस अफसर मनीष मिश्रा भी सड़क पर भीख मांगते हुए मिले थे, जिसके बाद उनके साथियों ने उन्हें ऐसे देख इस आश्रम के हवाले कर दिया।

 

 

मनीष 1999 बैच के एएसआई थे और साल 2006 से तबीयत बिगड़ जाने के चलते वह गायब थे. उनके साथियों को लगा कि पुलिस मुख्यालय उनकी देखभाल कर रहे हैं, मगर वह सड़क पर भीख मांगते हुए मिले। ऐसे में मनीष मिश्रा की पहचान उनके दो साथी ने की थी। हाल ही में सुरेंद्र को भी ऐसे देख आश्रम वाले सभी हैरान रह गए थे और इसके लिए उन्होंने उनकी पहचान के लिए कुछ तसवीरें शेयर की और लिखा “फर्राटेदार अंग्रेजी, आत्मविश्वास से भरी हुई आवाज, ग्वालियर मिशहील स्कूल के टॉपर रहे उच्च शिक्षित बुजुर्ग सुरेंद्र वशिष्ठ के कई मित्र इंजीनियर, डॉक्टर, एडवोकेट और बिजनेसमैन है।

सुरेंद्र बहुत ही बुरी व्यवस्था में छावनी बस स्टैंड के पास मिले हैं।आईआईटी कानपुर से पढ़ाई के बाद इन्होंने कई जगहों पर नौकरी भी की है। लेकिन अभी तक इनके परिजनों ने कोई संपर्क नहीं किया है। अब संस्था में रख कर इनकी देखभाल की जा रही है।  सुरेंद्र वशिष्ठ ने यह भी बताया है कि उन्होंने डीएबी कॉलेज लखनऊ से 1972 में एलएलएम किया है। उनके पिता जेसी मिल में सप्लायर थे। यह मिल 1990 में बंद हो गया था।

 

 

सुरेंद्र वशिष्ठ अपने परिवार में सबसे छोटे हैं और इन्होने अभी तक शादी भी नहीं की है। इनको लेकर आस-पास से सूचना मिली थी तभी जाकर इन्हे आश्रम लेकर आए हैं। कानपुर से पढ़ाई के बाद इन्होने नौकरी भी की है। हालाँकि, इनके परिजनों से अभी तक कोई संपर्क नहीं कर पाए हैं इसलिए आश्रम में ही इनकी देखभाल हो रही है।

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