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बजट सत्र में भी नहीं भूली वित्त मंत्री प्रवासी मजदूरों को…

प्रवासी मजदूरों को

बजट सत्र में भी नहीं भूली वित्त मंत्री प्रवासी मजदूरों को…

देश-विदेश : कोरोना काल में मोदी सरकार ने सख्त लॉकडाउन लागू किया था, जिसके चलते बहुत सारे लोगों की नौकरी चली गई थी. शहरों से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस लौट गए थे. लॉकडाउन खुलने के बाद बहुत से प्रवासी मजदूर वापस लौटे थे, लेकिन अभी भी बहुत सारे मजदूर अपने ही गांव में फंसे हुए हैं और उनके पास करने के लिए कोई काम धंधा नहीं है. ऐसे गरीब लोग भी इस बजट से काफी उम्मीदें कर रहे है.

 

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट शुरू करते ही कहा है कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू कर दी, जिससे 80 करोड़ लोगों को फायदा मिल जाये. आत्मनिर्भर पैकेज दिए, जिसके जरिए करीब 27.1 लाख करोड़ रुपये दिए. अपने बजट में इस बार निर्मला सीतारमण ने गांव और ग्रामीण लोगों के विकास के लिए भी कई अहम घोषणाएं की हैं.

 

 

प्रवासी मजदूरों के लिए सबसे अहम घोषणा तो ये रही कि उनके लिए सरकार एक पोर्टल शुरू करने जा रही है, जिसके जरिए सबकी जानकारी जुटाई जा सकेगी. इसमें बिल्डिंग वर्कर्स और मैन्युफैक्चरिंग वर्कर्स समेत सभी वर्गों के मजदूर होंगे. सरकार ने घोषणा की है कि लेबर कोड को लागू करने की कोशिश जारी रहेगी, जिससे न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की जाएगी. महिला मजदूरों के लिए अहम घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिलाएं हर कैटेगरी के काम कर सकेंगी और उन्हें नाइट शिफ्ट करने की भी इजाजत होगी. ये सब नए लेबर कोड के जरिए लागू किए जाने की योजना है.

 

बजट में स्टैंडअप इंडिया के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए मार्जिन मनी की जरूरत 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत की गई है. इसके अलावा एक देश एक को भी 32 राज्यों में लागू करने की प्रक्रिया जारी की गयी है और इसे तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे गरीबों को मदद मिल सके. पीएम स्वामित्व योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत लोगों को गांव में उनकी जमीन का पट्टा दिया जा रहा है. 1241 गांव में लोगों को पट्टे दिए जा चुके हैं और वित्त वर्ष 2021-22 में भी राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को उनकी जमीन का पट्टा दिया जाएगा. इससे गरीबों के पास जो जमीन है, उसका पुख्ता प्रमाण उन्हें मिल सकेगा.

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