उत्तराखंड

कोरोना संक्रमित के साथ 45 मिनट की एक चूक ने खतरे में डाली 54 लोगों की जान…

गांव के बाहर डॉक्टर बुलाने वाले ग्रामीण का दावा, विभागीय टीम ने जांच के बाद घर भेजा..

अधिकारी बता रहे पीड़ित की गलती, कहा- गांव के बाहर से चकमा देकर चला गया था घर..

45 मिनट में घर में नहाकर नाश्ता भी किया, संपर्क में आए 54 लोग आइसोलेट-क्वारंटीन..

विस्तार : कोरोना वायरस कितना खतरनाक है, यह जानते हुए भी राजस्थान के हॉटस्पॉट अलवर से लौटे जमाती को तबीयत खराब होने के बावजूद 45 मिनट तक घर जाने देने की एक छोटी सी कथित चूक ने 54 लोगों की जान को खतरे में डाल दिया।

घटना के चश्मदीद और चेकअप के लिए गांव के बाहर डॉक्टर बुलाने वाले शख्स का कहना है कि जांच के बाद युवक को घर में अलग-थलग रहने के निर्देश देते हुए कहा गया था कि जरूरत पड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है जबकि अधिकारी कह रहे हैं युवक चकमा देकर घर चला गया था। बहरहाल, चाहे जैसे वह घर पहुंचा, लेकिन इन चंद मिनटों में युवक ने घर जाकर स्नान किया और फिर नाश्ता किया।

कुछ देर बाद विभागीय टीम घर पहुंची और उसे सिविल अस्पताल में आइसोलेट कर दिया। शनिवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो विभाग से लेकर गांव में खलबली मच गई। आनन-फानन में युवक और चश्मदीद के संपर्क में आने वाले 54 लोगों को उठा लिया गया।

31 मार्च की सुबह नारसन बॉर्डर पहुंचा था..

दरअसल, पनियाला गांव का युवक जमात से 31 मार्च की सुबह नारसन बॉर्डर पहुंचा। यहां से उसके भाई और बुआ के बेटे कार से उसे गांव के बाहर तक ले आए। डॉक्टरों की टीम को खुद फोन कर बुलाने वाले गांव के मोमिन अंसारी बताते हैं कि करीब ढाई घंटे बाद पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जमाती का चेकअप किया। युवक ने यह भी बताया था कि उसे तबीयत खराब लग रही है। इस पर उसका तापमान आदि चेक कर डॉक्टरों ने कहा था कि फिलहाल वह घर जा सकता है, लेकिन परिवार वालों से अलग रहे।

जरूरत पड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है। लिहाजा युवक घर गया और एहतियातन सीधे बाथरूम में नहाने चला गया। इसके बाद आंगन में बैठकर नाश्ता किया। इस दौरान माता-पिता और भाई-बहनों समेत परिवार के सात लोग आसपास ही थे। करीब 45 मिनट बाद ही अचानक घर के बाहर एंबुलेंस पहुंची और युवक को अस्पताल ले गई।

वहीं, शनिवार को जब युवक की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आई तो पूरे गांव में दहशत फैल गई। हरकत में आए प्रशासन ने युवक के परिवार के सात लोगों को कलियर के एक गेस्ट हाउस में आइसोलेट कर दिया। साथ ही पूरा गांव सील कर उस 45 मिनट में युवक का चेकअप कराने वाले मोमिन और उनके परिवार के सदस्यों समेत उनके संपर्क में करीब 42 ग्रामीणों को भी गांव से ले जाकर कलियर में क्वारंटीन कर दिया।

यही नहीं पीड़ित युवक को गांव के बाहर तक कार से लाने वाले मंगलौर के मलकपुरा निवासी उसके बुआ के बेटे साथ ही गांव पर खतरा मंडरा गया है। बुआ बेटे समेत उसके संपर्क में आए पांच लोगों को भी कलियर में क्वारंटीन किया गया है। दूसरी ओर, सिविल अस्पताल प्रशासन इसमें पीड़ित युवक की लापरवाही बता रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि युवक चकमा देकर घर पहुंचा था। टीम ने उसे ले जाकर आइसोलशन में रखा, लेकिन गांव वालों का कहना है कि जब वे गांव के बाहर ढाई घंटे तक युवक का चेकअप कराने के लिए विभागीय टीम का इंतजार करते रहे तो फिर उन्हें युवक को सीधे अस्पताल में भेजने में क्या आपत्ति होती?

पीड़ित युवक गांव के बाहर खड़े लोगों को चकमा देकर अपने घर पहुंच गया था। इसके बाद मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने युवक की जांच करने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया था।
-डा. संजय कंसल, सीएमएस रुड़की

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