धाद ने किया आपदा प्रभावित बच्चों के मददगारों का सम्मान कर्नल कोठियाल ने की धाद की सराहना
देहरादून। मेरी मां मुझे कहती थी, बेटे, आवाज बहुत तरीके की होती है। मैदान पर चलने की आवाज को फौजी पहचान सकता है। बेटे की आने की आहट मां पहचान सकती है। गोली चलने की अलग आवाज होती है, आकाश में उड़ते जहाज की अलग आवाज होती है। जो इन सब आवाजों को एक मधुर ध्वनि में बदल दें, वही सच्चा संगीत होता है। धाद ने समाज की समस्त पीड़ाओं को, त्रासदी के घावों को, आपदा प्रभावितों के आंसुओं को पोंछ प्रभावित बच्चों को खुशियां बांट कर समहित कर एक मधुर ध्वनि बनाई और इसकी जितनी सराहना की जाए, वो कम है। कर्नल कोठियाल निगम सभागार में धाद द्वारा आयोजित विश्व पहाड़ दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज मुझे टीम कोठियाल के रूप में जाना जाता है। एक शादी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब शादी समारोह से बाहर निकले तो उन्हें बाहर छोड़ने कई लोग आए। वहां दो महिलाएं खड़ी थी, एक ने कहा, देखो नेता है, तो दूसरी महिला ने कहा कि नहीं, वो कर्नल कोठियाल है। यह मेरी पहचान है। युवाओं को सेना में भर्ती कराने की कोशिश कर रहा हूं। सफलता मिल रही है और सामाजिक मान्यता भी। उन्होंने कहा कि अगली बार जब किसी समारोह में जाउंगा तो जब बाहर आउंगा तो कोई कहेगा नेता, लेकिन मैं कहूंगा कि धाद का सदस्य हूं। कर्नल कोठियाल ने इस मौके पर अपनी माता का भावपूर्ण स्मरण किया। कहा, वो घुटने के दर्द से परेशान थी। उच्चरक्तचाप से पीड़ित थी और मधुमेह भी था, लेकिन वह फिर भी केदारनाथ यात्रा कर आईं। समाज की चिन्ताओं को लेकर काम करने वाले की अलग पहचान बनती है। उन्होंने धाद के कार्यक्रमों में भाग लेने की बात कही। कर्नल कोठियाल ने आपदा पीड़ितों की मदद करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर धाद के संस्थापक लोकेश नवानी, प्रेम बहुखंडी, प्रो. आर पी जुयाल, धाद के सचिव तन्मय ममगाईं, रविंद्र नेगी आदि प्रमुख लोग मौजूद थे।