उत्तराखंड

12 नक्सलियों को ढेर करने वाला चमोली का बेटा बना सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेट

आफीसर एकादमी, माउंटआबू, में हुई पासिंग आउट परेड में मिली पदवी

12 नक्सलियों को मार गिराने के लिए 2014 में मिल चुका है वीरता पदक

कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो रास्ते में आने वाली हर मुश्किल से पार पाना कभी भी असंभव नहीं होता। इस बात को साबित कर दिखाया है चमोली जिले के लाल मोहन सिंह बिष्ट ने।
जिले के विकासनगर घाट स्थित लुणतरा गांव के युवा इस युवा ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में असिस्टेंट कमांडेट (डीएसपी) बनकर समूचे इलाके का नाम रोशन किया है। बीते सोमवार को आफिसर अकादमी, माउंटआबू में हुई पासिंग आउट परेड में उन्हे असिस्टेंट कमांडेट की पदवी मिली।


लुणतरा गांव निवासी सेवानिवृत असिस्टेंट कमांडेट सुरेंद्र सिहं बिष्ट के पुत्र मोहन सिहं विष्ट की शुरुआती पढ़ाई गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। उसके बाद हाईस्कूल व इंटरमीडिएट, राजकीय इण्टर कालेज, घाट से उत्तीर्ण करने के बाद मोहन विष्ट ने पीजी कालेज गोपेश्वर (चमोली) से स्नातक एवं परास्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की । मोहन विष्ट ने भारत ही नही बल्कि विश्व के सबसे बड़े अर्ध सैनिक बल में असिस्टेंट कमांडेट (डीएसपी) का प्रशिक्षण पूरा किया है। दीक्षांत व शपथ ग्रहण समारोह में मोहन विष्ट को सेना के राजपत्रित अधिकारी बनें। मोहन विष्ट की नियुक्ति 06 अगस्त 2017 को इस पद पर हुई और तभी से इस अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे थे।

​इससे पहले मोहन सिहं विष्ट को नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अदम्य साहस दिखाते हुए 12 नक्सलियों को मारने पर वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति वीरता मेडल व प्रशस्ति पत्र से नवाजा जा चुका है। राष्ट्रीय स्तर पुलिस प्रतियोगिता में भी मोहन विष्ट दने एक स्वर्ण पदक व एक रजत पदक अर्जित किया है। साथ ही साथ सीआरपीएफ में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए उन्हे तीन महानिदेशक मेडल व 12 प्रशस्ति पत्र भी मिल चुके हैं। मोहन सिहं विष्ट की इस कामयाबी पर उनकी माता कमला देवी, पिता सुरेन्द्र सिहं बिष्ट विष्ट तथा परिजन बेहद खुश हैं। पासिंग आउट परेड के बाद मोहन सिहं विष्ट ने कहा कि वे, करियर काउंसलिंग के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश सेवा के साथ ही वे प्रत्येक वर्ग के बच्चों को सही मंजिल तक पहुंचाने के लिए उनको समय -समय पर सही मार्गदर्शन व परामर्श देने का काम करते रहेंगे।

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