उत्तराखंड

तीर्थयात्रियों के लिए राहत की खबर, नहीं बढ़ेगा इस बार बस का किराया..

तीर्थयात्रियों के लिए राहत की खबर, नहीं बढ़ेगा इस बार बस का किराया..

 

 

 

 

 

 

इस साल चारधाम यात्रा के किराया में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं होगी। 13 मार्च को चारधाम यात्रा संयुक्त रोटेशन समिति की नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। अनाधिकृत ट्रेवल एजेंटों पर लगाम कसी जाएगी।

 

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: इस साल चारधाम यात्रा के किराया में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं होगी। 13 मार्च को चारधाम यात्रा संयुक्त रोटेशन समिति की नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। अनाधिकृत ट्रेवल एजेंटों पर लगाम कसी जाएगी। चारधाम यात्रा के आयोजन को लेकर परिवहन विभाग की ओर से आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में यात्रा किराया नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा का कहना हैं कि चारधाम यात्रियों से राज्य परिवहन प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किराया ही लिया जाएगा। बताया कि इस बार यात्रा के दौरान दो की जगह पांच टीमें सुरक्षा और लापरवाही की जांच करेगी। उनका कहना हैं कि सभी ट्रांसपोर्टर 13 मार्च को चारधाम यात्रा संयुक्त रोटेशन समिति के अध्यक्ष के चयन के लिए बैठक करेंगे। समिति के नामित पदाधिकारियों की जानकारी परिवहन विभाग को उसी दिन उपलब्ध कराएंगे।

समिति की ओर से चारधाम यात्रा के लिए बसें उपलब्ध कराई जाएंगी। ग्रीनकार्ड ट्रिपकार्ड से संबंधित व्यवस्था बनाई जाएगी। रोडवेज की बसों से हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए किराया का निर्धारण किया जाएगा। यात्रा के चरम पर होने पर 15-31 मई तक वाहनों की उपलब्ध सुनिश्चित कराई जाएगी।

इस दौरान परिवहन विभाग की ओर से अन्य स्रोतों से वाहन उपलब्ध कराकर रोटेशन के अधीन संचालित होंगे। पंजीकृत ट्रेवल एजेंट यात्रा करा सकेंगे। अनाधिकृत ट्रेवल्स एजेंटों पर कार्रवाई की जाएगी। बैठक में आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी, एआरटीओ प्रशासन एके पांडे, एआरटीओ (प्रवर्तन) ऋषिकेश मोहित कोठारी, रश्मि पंत, टीजीएमओ के अध्यक्ष जितेंद्र नेगी, सुधीर राय, भोपाल सिंह नेगी, मनोज ध्यानी, संजय शास्त्री, प्यारेलाल जुगरान, विनोद भट्ट आदि उपस्थित थे।

मीडिया को नहीं दी जानकारी..

परिवहन विभाग की ओर से चारधाम यात्रा को लेकर बाईपास मार्ग स्थित एआरटीओ कार्यालय में ट्रांसपोर्टरों की बैठक बुलाई गई थी। लेकिन इसकी जानकारी मीडिया को नहीं दी गई। इसको को लेकर सवाल उठ रहे हैं। परिवहन विभाग के अधिकारी क्या छिपाना चाह रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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