उत्तराखंड

मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा बोहरा नर्सिंग होम

मरीज के पेट से निकाला दस किलो ट्यूमर ,जिला चिकित्सालय में सुविधाओं का अभाव, चिकित्सक एवं उपकरण के अभाव में दम तोड़ रहा अस्पताल ,प्राइवेट क्लीनिकों की शरण लेने को मजबूर मरीज

रुद्रप्रयाग। जिले में बोहरा नर्सिंग होम मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। जो सुविधाएं मरीजों को सरकारी चिकित्सालय में नहीं मिल पा रही है, वे सभी सुविधाएं उन्हें बोहरा नर्सिंग होम में दी जा रही हैं। जिससे मरीजों को भी राहत मिल रही है। सरकारी अस्पताल से ज्यादा ओपीडी प्राइवेट क्लीनिकों में देखी जा सकती हैं।

दरअसल, जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग मात्र रैफर सेंटर बन गया है। छोटी से छोटी बीमारी का इलाज भी चिकित्सालय में नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में चिकित्सकों को तैनात तो किया गया है, मगर इन चिकित्सकों के पास कोई उपकरण न होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं। ऐसे में मरीज को सीधे श्रीनगर व देहरादून के लिए रैफर किया जा रहा है। हर दिन जिला चिकित्सालय में मरीजों की शिकायत रहती है कि उन्हें सही ढंग से इलाज नहीं मिल पा रहा है। कारण, साफ है कि जिला चिकित्सालय में उपकरण और चिकित्सकों की कमी के चलते मरीज परेशान हैं। जिला चिकित्सालय में तैनात किये गये चिकित्सक भी उपकरण के बिना खासे परेशान हैं। जिला चिकित्सालय चमोली एवं जनपद के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन आवश्यक उपकरण और चिकित्सकों की कमी के चलते जिला चिकित्सालय रैफर सेंटर बन गया है। ऐसे में मरीज प्राईवेट क्लीनिकों की शरण लेने को मजबूर हैं। मुख्यालय स्थित बोहरा नर्सिंग में हर दिन ओपीडी की संख्या बढ़ती जा रही है, जबकि सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या कोई खास नहीं है।

सरकारी चिकित्सालय का भवन आलीशान बनाया गया है और सुविधाएं कुछ भी नही हैं। वहीं बोहरा नर्सिंग होम में सीमित जगह पर मरीजों को संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं। ऐसे में मरीजों का ज्यादा ध्यान प्राइवेट क्लीनिकों की ओर है। बोहरा नर्सिंग होम में ओपीडी के साथ ही ट्यूमर के मरीज भी हैं। ट्यूमर के मरीज पहले श्रीनगर, देहरादून और दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं और बाहरी शहरों में इलाज महंगा होने पर बोहरा नर्सिंग होम की शरण ले रहे हैं। चमोली जिले के नारायणबगड़ से आई मरीज सीता देवी मौत से संघर्ष कर रही थी। बोहरा नर्सिग होम के चिकित्सकों ने महिला को नया जीवन दान दिया है। महिला के पेट से दस किलो का ट्यूमर निकाला गया है, जिससे महिला ने राहत की सांस ली है। मरीज निवर्तमान सभासद दीपांशु भट्ट, अनिल रावत, जयदीप पाण्डेय, अश्विनी रावत, नरेश चन्द्र, प्रवीन सेमवाल ने कहा कि जिले में बोहरा नर्सिग होम में मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं। जहां चिकित्सालय में छोटी सी बीमारी के लिए रैफर किया जाता है, वहीं बोहरा नर्सिग होम में मरीज को राहत मिल रही है। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में संसाधनों की कमी बनी हुई है। संसाधनों के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। गरीब वर्ग के लोगों के लिए भी जिला चिकित्सालय कोई सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। चिकित्सालय में चिकित्सकों का व्यवहार भी मरीजों के साथ सही नहीं रहता है। दूरस्थ क्षेत्रों से मरीज जिला चिकित्सालय पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें सुविधाएं कुछ नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में उन्हें प्राइवेट क्लीनिकों की शरण लेनी पड़ती हैं।

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