उत्तराखंड

केदारनाथ मंदिर के दो सौ मीटर की परिधि में अब नहीं होगा धरना प्रदर्शन…

केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर

केदारनाथ मंदिर के दो सौ मीटर की परिधि में अब नहीं होगा धरना प्रदर्शन…

किसी भी तरह की शांति व्यवस्था भंग होने पर होगी दण्डात्मक कार्रवाई….

तीर्थ पुरोहितों के धरना प्रदर्शन के बाद प्रशासन सख्त….

तीर्थ पुरोहितों से वार्ता करने को लेकर पुलिस अधीक्षक व अपर जिलाधिकारी को भेजा केदारनाथ…

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में अब मंदिर से दो सौ मीटर की परिधि के साथ ही मंदिर और वैली ब्रिज से मुख्य पहुंच मार्ग पर धरना प्रदर्शन प्रतिबंधित कर दिया गया है। देवस्थानम बोर्ड ने देवस्थानम् प्रबंधन अधिनियम की धारा 15(5)(6) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक को आदेश का पालन कराने को कहा है।

जिलाधिकारी वंदना सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते लम्बे समय से केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड शासन द्वारा 15 जनवरी 2020 को उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबन्धन विधेयक 2019 गठन होने के बाद राज्य से चारों धामों में कुशल प्रबन्धनध्व्यवस्था का उत्तरदायित्व उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबन्धन बोर्ड को दिया गया है। अपनी दो मांगों को लेकर केदारनाथ धाम में तीर्थपुरोहितों द्वारा दिए जा रहे धरने को देखते हुए प्रशासन ने तीर्थ पुरोहितों से 12 सितम्बर को वार्ता की। इसमें तीर्थपुरोहितों ने देवस्थानम् बोर्ड को लागू न करने और वर्ष 2013 की आपदा में वाश आउट हुए भवनों व केदारनाथ धाम में सौन्दर्यीकरण के लिए मास्टर प्लान को लेकर थी।

तीर्थुपरोहितों का कहना था कि अधिग्रहण की गई तीर्थ पुरोहितों की स्वामित्व वाली भूमि के सम्बन्ध में जिला प्रशासन द्वारा कुल 127 तीर्थ पुरोहितों के साथ भूमिधरी अधिकार व भवन निर्मित किए जाने के लिए अनुबन्ध गठित किए गए हैं। जब तक जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में हुए कुल 127 अनुबन्ध के अनुसार सभी तीर्थ पुरोहितों को उनका भूमिधरी अधिकार व भवन निर्मित नहीं किए जाते तब तक मास्टर प्लान को लागू न किया जाए। जिलाधिकारी ने बताया कि पहली मांग में याचिका को हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया। जबकि मास्टर प्लान को लेकर तीर्थ पुरोहितों को प्रशासन द्वारा अवगत कराया गया है कि पूर्व में हुए 127 अनुबन्ध के सापेक्ष 41 भवनों का निर्माण कर तीर्थ पुरोहितों को हस्तांतरित कर दिया गया है। जबकि शेष शेष भवनों का निर्माण कार्य जारी है।

केदारनाथ मास्टर प्लान में अधिग्रहण की जाने वाली भूमि के सम्बन्ध में वार्ता के दौरान तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधि मण्डल को जानकारी दी गई है कि अधिकाशः निर्माण कार्य शासकीय भूमि पर किए जाने प्रस्तावित है। उक्त दोनों मांगों के अलावा तीर्थपुरोहितों द्वारा प्रशासन के समक्ष समय-समय पर रखी गयी मांगों व सुझावों को लेकर प्रशासन द्वारा कई निर्णय लिए गए। जिनमें केदारनाथ धाम में तीर्थपुरोहितों की जरूरत के मुताबिक उन्हें विश्वास में रखते हुए भोग मण्डी, प्रवचन हॉल, पुजारी आवास का निर्माण तथा सुदृढ़ीकरण व ईशानेश्वर महादेव मन्दिर के निर्माण को मास्टर प्लान के अनुसार किया जाएगा। तीर्थपुरोहितों की निजी भूमि को लेकर पूर्व में किए गए सार्वजनिक कार्यो के समय किए गए अनुबन्धों का पालन किया जाएगा। कुल 127 अनुबन्धों में से 41 अनुबन्धों के अनुसार मकान निर्माण कर दिए जा चुके हैं जबकि शेष का निर्माण जारी है। निर्माण पूरा होते ही उन्हें नियमानुसार प्रभावितों को दिया जाएगा।

जिलाधिकारी ने बताया कि भूमिधरी अधिकार को लेकर केदारनाथ धाम में सरकारी निर्माण कार्यों के लिए पूर्व में जिन तीर्थ पुरोहितों की भूमि अधिग्रहण की गई है उन्हें, शासनादेश व अनुबन्ध के अनुसार उनके विधिक स्वामित्व की भूमि के बराबर भूमि पर भूमिधरी अधिकार दिए जाने के लिए राजस्व अभिलखों के अनुसार प्रभावितों की विधिक स्वामित्व की भूमि का सर्वे तथा बदले में दी जाने वाली शासकीय भूमि का सर्वे पूरा कर सभी अभिलेखों के साथ रिपोर्ट शासन स्तर पर भेजी गई है।

इसमें भी शासन स्तर पर कार्रवाई जारी है। शासनादेश मिलते ही भूमि आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। भविष्य में मास्टर प्लान के अनुसार होने वाले निर्माण कार्यों में तीर्थ पुरोहितों की राय लेकर तथा उनके सुझावों को शामिल करते हुए प्रशासन अंतिम निर्णय लेगा। कहा कि किसी भी तीर्थ पुरोहित की विधिक स्वामित्व की भूमि को उनकी सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा। साथ ही शासनादेश के अनुरूप उचित क्षतिपूर्ति के बाद ही भूस्वामी होने पर निजी भूमि को लेने पर कार्यवाही होगी।

इसके अलावा आगामी यात्रा में मार्ग पर दुकानें न्यूनतम धनराशि पर प्रभावितों के साथ ही स्थानीय बेरोजगारों को देने पर विचार किया जाएगा। केदारनाथ यात्रा मार्ग तथा केदारपुरी में यात्रियों के लिए आवासीय व अन्य व्यवस्थाओं में स्थानीय लोगों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी। केदारनाथ धाम में पूर्व में सरकारी भूमि पर निर्मित कर प्रभावितों को आवंटित किए गए आवासों में कुछ भवनों में गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिली है। इन भवनों का निर्माण 2016 में एनआईएम के माध्यम से शुरू किया गया था और 2018 में तीर्थ पुरोहितों को दिए गए। शिकायत का संज्ञान लेते हुए एक जांच समिति का गठन किया गया है जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जाएगा। भविष्य में केदारनाथ में यात्रियों की संख्या बढ़ने की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य टीमों की संख्या दोगुना करने पर विचार किया जा रहा है।

अग्रिम सप्ताह तक केदारनाथ में कोविड टेस्ट की सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। वर्तमान में सोनप्रयाग, सिरोबगड़ एवं सभी सीएचसी व जिला चिकित्सालय में यह सुविधा उपलब्ध है। जिलाधिकारी ने बताया कि तीर्थपुरोहितों की प्रशासन स्तर की सभी मांगें पूरी कर ली गई है। तीन बार जिलाधिकारी स्तर की तीर्थपुरोहितों से वार्ता की गई है। इसके बाद भी तीर्थपुरोहितों अपना आंदोलन जारी रखना चाहते हैं तो शासन स्तर की मांग के लिए वह वार्ता करने के लिए स्वतंत्र हैं।

शांतिपूर्ण एवं कोविड-19 को देखते हुए जारी दिशा निर्देश का पालन करते हुए प्रदर्शन करने में प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं है, मगर देवस्थानमं बोर्ड के मुख्य कार्याधिकारी के आदेश का पालन करते हुए मंदिर के दो सौ मीटर की परिधि एवं वैली ब्रिज से मंदिर के मुख्य पहुंच मार्ग में कोई भी धरना प्रदर्शन प्रतिबंधित है। बोर्ड के आदेश का पालन कराने के लिए अपर जिलाधिकारी के साथ ही पुलिस अधीक्षक द्वारा नियुक्त सक्षम पुलिस अधिकारी को केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों से वार्ता के लिए भेजा गया है। यह टीम तीर्थपुरोहितों को समझाने का पूरा प्रयास करेगी और आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध करेगी। किसी भी तरह की शांति व्यवस्था भंग होने की स्थिति में नियमानुसार दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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