चमोली आपदा: टनल के अंदर अब बचाव अभियान टीम का जाना रिस्की..
उत्तराखंड: चमोली जिले में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में फंसे 30 से 35 लोगों तक पहुंचने के लिए सेना सहित विभिन्न एजेंसियों का संयुक्त बचाव एवं राहत अभियान लगातार चौथे दिन बुधवार को भी जारी हैं। घटना के बाद से ही वहां लगातार तलाश और बचाव अभियान चलाया जा रहा है जिसमें सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) शामिल हैं।
गढ़वाल की DIG नीरू गर्ग ने कहा ”हमारी सभी फोर्स टनल को खोलने की कोशिश कर रही हैं, हम 24 घंटे काम कर रहे हैं। एनटीपीसी और स्थानीय लोगों का कहना है कि एक जगह पर उन्हें उम्मीद है कि वर्कर्स काम कर रहे थे तो हो सकता है कि वहां ड्रिलिंग करने की जरूरत हो, हम रात को ड्रिल करके देखेंगे।
आइटीबीपी का कहना है कि जो मलबा अंदर फंसा हुआ था अब वो ज़्यादा बाहर निकलकर आ रहा है। NTPC के टेक्निकल एक्सपर्ट का कहना है कि अब किसी का भी अंदर जाना रिस्की है क्योंकि अंदर से पानी का तेज़ बहाव हो सकता है। तो अब मशीनों द्वारा ही मलबा निकाला जाएगा।
सुरंग के घुमावदार होने तथा वहां भारी मलबा, गाद और पानी बहने के कारण अभियान में बाधा आ रही है। पीटीआई के अनुसार तपोवन में परियोजना स्थाल पर मौजूद परियोजना सलाहकार ए के श्रीवास्तव ने कहा कि अंदर फंसे लोगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ड्रिलिंग जैसे उपायों पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि सुरंग से लगातार मलबा बहकर आ रहा है जिसके कारण बचाव दल आगे नहीं जा पा रहे हैं। सुरंग की आकृति भी जटिल है जिसे समझने के लिए एनटीपीसी के अधिकारियों से संपर्क साधा गया है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा, सुरंग में फंसे लोगों का जीवन बचाने के लिए हम हर मुमकिन प्रयास करेंगे। यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, आपदा ग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से अब तक कुल 32 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 174 अन्य लापता हैं।