इस वजह से बिगड़ रही उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की खूबसूरती..
उत्तराखंड : देवभूमि कहे जाने वाला उत्तराखंड प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के लिए जाना जाता हैं। लेकिन इस पर्यटक स्थल की सुंदरता पर ग्रहण सा लग रहा है। यहां पर बड़ी संख्या में बाहर से पर्यटक और ट्रैकर आते हैं, जो यहां पर गंदगी फैलते हैं। जिससे यहां के पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है। लाखों की संख्या में यह पर हर साल पर्यटक आते हैं, और गंदगी फैला कर चले जाते हैं। इसके बावजूद भी उनका कोई लेखा जोखा नहीं रखा जाता हैं।
यहां पर समिति व वन विभाग में ताल-मेल के अभाव में गंदगी का ढेर लगा रहता है। पर्यटकों के लिए कोई नियम नहीं होने से पर्यटक व ट्रैकर्स बे-रोक-टोक कही भी किसी भी पर्यटक स्थल पर आते-जाते रहते हैं। पर्यटन के लिहाज से उत्तराखंड काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है, लेकिन यहां पर घूमने आने वालों का कोई रिकार्ड नहीं रहता है। विभाग की ओर से भी अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। अगर विभाग की और से इस पर ध्यान दिया जाये तो यहा पर काफी हद तक इस स्थिति में सुधार हो सकता हैं।
घूमना-फिरना लोगों का अपना फ़ैसला है लेकिन पर्यटक जिस तरह से इन ख़ूबसूरत जगहों को गंदा करके वापस लौटते हैं, वो बेहद निराशाजनक है अकसर देखा जाता है कि पर्यटक जगह-जगह पॉलीथीन, पानी की खाली बोतलें, चिप्स के पैकेट और शराब की बोतलें फेंककर पहाड़ों की रौनक छीनने का काम कर रहे हैं। जिन गांववालों ने कभी बियर की बोतल तक नहीं देखी थी, उन्हें यहा पर बियर की खाली बोतलें समेटनी पड़ती हैं।
शहरों में रह रहे लोगों के लिए पहाड़ों का महत्व कुछ अलग तरह का होता है। हर साल लाखों पर्यटक उत्तराखंड की वादियों में छुट्टियां बिताने आते हैं। वापस लौटने पर वो वहां शहर की गंदगी छोड़ आते हैं। लोगों की मौज-मस्ती के अड्डे बन चुके ये पर्यटक स्थल इसकी कीमत चुका रहे हैं।
आज कल ओली और चोपता जैसी जगह पर बड़ी संख्या में बाहर से पर्यटक और ट्रैकर आते हैं और यहा पर गंदगी फैला कर चले जाते हैं। इन पर्यटक स्थल को देखने के लिए जहां देश-विदेश के पर्यटक आते हैं, वहां आसपास फैली गंदगी इन पर्यटक स्थलो की खूबसूरती बिगाड़ रही है। खाने-पीने के बाद लोग आसपास ही कूड़ा फेंककर चले जाते हैं। जिससे यहां पर आने वाले अन्य पर्यटकों को इससे बच कर निकलना पड़ता है।
उत्तराखंड एक ऐसी जगह हैं। जहां लोग बड़ी संख्या में पिकनिक मनाने व घूमने जाते हैं। अपनी आम दिनचर्या की परेशानियों व चिंताओं से हट कर कुछ वक्त के लिए शांति से भरे वातावरण में जीवन का आनंद लेने रम जाते हैं। पर इनमें कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिनमें अपनी परेशानियों की झुंझलाहट या नशे का शौक पूरा करने के लिए जंगल व पहाड़ियों का वीराना ठिकाना सुरक्षित लगता है।
लेकिन परेशानी तब शुरू होती है, जब वे न केवल यह पर नशाखोरी करते हैं, बल्कि मदिरा की बोतलों को वहीं फोड़कर ऐसे मनोरम स्थलों की खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं। प्लास्टिक की पानी की बोतलें, प्लेट, डिस्पोजल ग्लास, चिप्स पैकेट व अन्य प्लास्टिक कचरा भी वहीं छोड़ देते हैं।
खासकर पर्यटन स्थलों में युवा वर्ग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, पर ज्यादातर मामलों में नशे की तलब पूरा करना ही उनका कारण होता है। ऐसे में वन विभाग को सख्ती से पेश आने की जरूरत है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में इन मोहक वादियों में सैलानियों का स्वागत प्लास्टिक व अन्य कचरों से होगा।