मनीष द्विवेदी नाम के शख्स ने आपदा पीड़ितों को बनाया ठगी का शिकार
प्रधानों को जाल में फंसाकर रचा षड़यंत्र
फर्जी एसोसियेट बनाकर लोगों से ठगे पांच-पांच हजार
तीन साल तक भवन बनाने को लेकर बनाता रहा बेवकूफ
रुद्रप्रयाग। आपदा प्रभावितों के भवन बनवाने के नाम पर लाखों रूपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। मनीष द्विवेदी नाम के एक ठग ने एक एनजीओ द्वारा निःशुल्क भवन बनवाने का लालच देकर पांच हजार रूपये प्रति भवन के हिसाब से प्रभावितों से जमा कराये। बताया जा रहा है कि यह रकम 25 लाख से ऊपर है। तीन वर्ष से अधिक समय से मनीष द्विवेदी लोगों को झांसा दे रहा था। लोगों द्वारा भवन बनवाने के लिए जोर देने पर अब वह फरार हो गया। प्रभावितों ने उसे हर जगह तलाशा, लेकिन वह कहीं नहीं मिल पा रहा है। आखिर तीन वर्ष इंतजार करने के बाद प्रभावितों ने इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री, राज्यपाल, जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर आरोपित को गिरफ्तार कर जनता को न्याय दिलाने की मांग की है।
मामला वर्ष 2014 का है। 2013 में केदारघाटी में आई भीषण त्रासदी ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। कई लोगों के घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये थे, तो कई के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त भवन स्वामियों को सरकार द्वारा उचित धनराशि मुआवजे के तौर पर दी गयी थी, लेकिन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त भवन स्वामियों को इतना मुआवजा नहीं मिला कि वे अपना नया भवन बना सकें। जो सक्षम थे उन्होंने तो अपने संसाधनों से भवनों को ठीक करा दिया, मगर कई प्रभावित ऐसे थे जो धनाभाव के कारण अपने भवनों को ठीक नहीं करा पाये। मनीष द्विवेदी ने इन्हीं लोगों को अपना निशाना बनाया और एक स्वयं सेवी संस्था द्वारा प्रभावितों के घर बनाने का सपना दिखाया।
मनीष स्वयं रोटरी क्लब द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कई विद्यालयों के निर्माण में तकनीकी सहायक के रूप में कार्य कर रहा था। रोटरी क्लब ने विद्यालयों के निर्माण में बेहतरीन कार्य किया था। बताया जा रहा है कि मनीष के पिता स्वयं एक एनजीओ चलाते हैं। इसी का फायदा उठाकर मनीष द्विवेदी ने क्षेत्र में पहले अपना विश्वास जमाया और रिचा एसोसियेट नाम से एक संस्था बनाई। आपदा प्रभावितों को बताया गया कि भवन बनाने के लिए लाइवली हुड संस्था वित्त पोषित करेगी और रिचा एसोसियेट भवन का निर्माण करेगी। इसके लिए भवन चाहने वाले व्यक्ति को फाइल बनवाने के लिए उन्हें पांच हजार रूपये देने होंगे, जिसकी रसीद मिलेगी। इसके लिए अगस्त्यमुनि में बकायदा रिचा एसोसियेट का कार्यालय भी खोला गया। चूंकि मनीष रोटरी क्लब में तकनीकी सहायक के रूप में घाटी में कार्य कर चुका था और कई प्रधानों से उसका अच्छा परिचय हो गया था।
उसने इन्हीं प्रधानों के जरिये अपना जाल बिछाया। प्रधानों के कहने पर कई लोगों ने भवन बनावाने के लिए उसके पास पैंसा जमा करना शुरू कर दिया। मनीष ने लोगों से पांच हजार रूपये लिए, लेकिन रसीद केवल 4250 रूपये की दी। फिर भी लोगों को शक नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि मनीष ने रुद्रप्रयाग जनपद में तीनों ब्लाॅकों में अपना जाल फैलाया और सैकड़ों लोगों से पांच हजार रूपये जमा कराये। इस प्रकार यह रकम 25 लाख से ऊपर बताई जा रही है। जब साल पर साल गुजरने के बाबजूद भी भवन बनने की प्रक्रिया एक इंच आगे नहीं बढ़ पाई तो कई लोगों ने पैंसा वापस करने का दबाब बनाया। इसके लिए उस पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी भी दी। जिससे डरकर उसने कुछ लोगों का पैंसा भी वापस किया, मगर अब वह फरार हो गया है। उसके मोबाइल पर सम्पर्क करने का प्रयास किया तो वह बन्द है। अगस्त्यमुनि में संस्था का कार्यालय भी अब बन्द हो चुका हैं। इससे घबराये लोगों ने प्रधानों पर अपना पैंसा वापस करवाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। प्रधानों ने भी मामले की गम्भीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री, राज्यपाल, जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक से न्याय दिलवाने की गुहार लगाई है।