कुलदीप बगवाड़ी
रुद्रप्रयाग : हिमालय की संस्कृति भगवान् शिव को समर्पित है। भगवान् शिव के साथ उनके भक्त भी पूजे जाते हैं। ऐसा ही एक स्थान है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का गाँव बमसू जहां बाणासुर का मंदिर है गांव के कुलदेवता भी बाणासुर हैं। गांव का नाम बाणासुर के नाम से ही बामसू पड़ा। इस क्षेत्र में केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित रहते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां सोनितपुर का क्षेत्र था जो दैत्यराज बाणासुर की राजधानी थी। इस स्थान में ही भगवान् कृष्ण और बाणासुर के बीच युद्ध हुआ है। जिस स्थान पर अनिरुद्ध को कैद किया गया था वह कारागृह आज भी इस गांव में है। अनुरुद्ध भगवान् कृष्ण के पोते थे जिन्हे वाणासुर की पुत्री उषा ने अपनी सखी चित्रलेखा के माया विद्या से हरण करवा दिया था। बाणासुर भगवान् शिव के अनन्य भक्त थे जिनके रक्षा करने के लिए भगवान् स्वयं धरती पर आये और भगवान् कृष्ण से उनके प्राणो की रक्षा की।
राजा बलि के प्रतापी पुत्रों में सबसे बड़े और बुद्धिमान बाणासुर को भोग लगाया जाता है और नित्य उनकी पूजा होती है। गांव में मान्यता है बारिस मांगने के लिए एक अगर मूर्ती को बाहर निकाला जाए तो कुछ समय बाद बारिस आना निश्चित है।