उत्तराखंड

बड़ी खबर उत्तराखंड सरकार बनाएगी माइनर रेप में फांसी की सजा का कानून 

इसके तहत नाबालिग बच्चियों से बलात्कार करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा दी जाएगी।

देहरादून : उत्तराखंड में बच्चियों से रेप करने वालों को फांसी की सजा होगी। काशीपुर में भाजपा कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाओं, खासकर बेटियों की सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। सरकार राज्य इस संबंध में प्रवाधान करेगी। अगले विधानसभा सत्र में इसे पास किया जाएगा। इसके तहत नाबालिग बच्चियों से बलात्कार करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा दी जाएगी। कठुआ गैंगरेप की घटना के बाद मोदी सरकार ने बीते अप्रैल माह में नाबालिग के साथ रेप में फांसी की सजा दिए जाने के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) एक्ट में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके तहत 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान है। इस आधार पर मध्य प्रदेश, पंजाब इस संशोधन को मंजूरी दे चुके हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में इसे लेकर कवायद चल रही है।

इधर बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने काशीपुर में यह प्रावधान राज्य में लागू किए जाने की बात कही। उन्होंने महिलाओं विशेषकर बेटियों की सुरक्षा को चिंता का विषय बताया। यह भी कहा कि इस संबंध में विधानसभा सत्र में विधेयक पास किया जाएगा। इसमें 12 साल या उससे कम उम्र की बेटियों के साथ दुराचार करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा। कानूनी प्रावधान के साथ-साथ समाज में नैतिक आंदोलन भी राज्य भर में चलाया जाएग।

पॉक्सो एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, जबकि न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। दिसंबर-2012 के निर्भया मामले के बाद कानूनों में संशोधन किए गए थे। इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।

पंजाब सरकार ने 12 वर्षों से कम आयु की बच्ची के साथ दुराचार पर मौत की सजा के अलावा यह क्रिमिनल लॉ (अमेडमेंट) आर्डिनेंस, 2018 आईपीसी में भी संशोधन किया है, जिससे तहत दुराचार के लिए कम से कम सजा सात साल से बढ़ाकर दस साल की गई है। 16 साल से कम आयु की लड़की के साथ दुराचार पर कम से कम सजा उम्र कैद निर्धारित की गई है, जोकि पहले 20 वर्ष बा-मशक्कत कैद थी।

इसके अलावा कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर में भी संशोधन किया गया, जिससे दुराचार के मामलों में जांच दो महीने में पूरी करनी होगी। दुराचार के मामलों पर सुनवाई दो महीनों में मुकम्मल करनी जरूरी होगी और अपीलों के निपटारे के लिए छह महीनों का समय तय किया गया है। 12 और 16 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ दुराचार या सामूहिक दुराचार के मामलों में नामजद अपराधियों के लिए अग्रिम जमानत संबंधी कानून में भी पंजाब सरकार ने संशोधन किया है।

तराई इलाकों के अलावा पर्वतीय जनपदों में भी बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार इन्हें लेकर चिंतित है। ऐसे में सरकार बारह वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ होने वाली रेप की घटनाओं में फांसी की सजा मुकम्मल कराने के लिए प्रावधान करेगी। अगले विधानसभा सत्र में इस बाबत विधेयक पेश पास जाएगा।

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