उत्तराखंड

थराली का भविष्य…….!!!

28 मई को थराली विधानसभा उपचुनाव को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां जोर शोर से लगी हुई है और अपनी- अपनी जीत के दावे भी कर रही हैं , लेकिन जनता किसका दामन थामेगी इसका खुलासा तो 31 मई को ही होगा । थराली उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी पूरी की पूरी ताकत झोंक दी है, कांग्रेस कर्नाटक के पूरे घटनाक्रम को अपनी जीत बता कर अपने कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करते हुए इसका इस्तेमाल चुनावी मुद्दे के रूप में भी कर रही है । प्रदेश में 11 के आंकड़े पर सिमटी कांग्रेस के लिए अपनी संख्या को विधानसभा में एक दर्जन पूरा करने का एक मौका है, कांग्रेस प्रत्याशी प्रोफेसर जीतराम के नामांकन के बाद हुई जनसभा में अच्छीखासी भीड़ देखकर कांग्रेसी उत्साहित भी है I प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रोफेसर जीतराम को लेकर जहाँ एक तरफ आश्व्स्त नजर आ रहे है वहीँ दूसरी तरफ भाजपा सरकार के मुखिया भाजपा प्रत्याक्षी मुन्नी देवी के प्रचार की कमान संभालने चुनाव मैदान में कूदे हुए है ।

मुन्नी देवी 2014 में चमोली की पहली अनुसूचित जाति महिला जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं थी I उनके पति मगन लाल बीजेपी के टिकट पर थराली से चुनाव जीतकर 2017 में पहली बार विधायक बने थे, पिछले वर्ष हुई शाह की मृत्यु के बाद मुन्नी देवी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है ।

2014 के लोकसभा चुनाव और २०१७ के विधानसभा चुनाव के बाद उत्तराखंड में थराली का विधानसभा उपचुनाव पहला ऐसा चुनाव है जिसका दारोमदार मोदी और शाह की जगह प्रदेश सरकार और संगठन के ऊपर है, पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा के मगन लाल शाह और कांग्रेस के जीतराम आर्य की हार-जीत का अंतर पांच हजार वोट से भी कम था। इस बार मतदाताओं के थोड़ा सा भी रुख बदलने से यह सीट वापस हासिल करनी भाजपा के लिए मुश्किल भी हो सकती है । इसीलिए भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने सरकार के कामकाज को ही सहारा बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बनाई है।

जमीन न बेचो, पहाड़ का भविष्य सुंदर है का नारा हो या भ्रष्टाचार के खिलाफ त्रिवेंद्र सरकार का जीरो टॉलरेंस, हर घर बिजली की बात हो या ऑल वेदर रोड़ और रेल परियोजना और उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र में बनने जा रहे पहले डिजिटल गांव घेस के सफल मॉडल जो कि नकदी फसली का सफल मॉडल साबित हुआ है को चुनावी मुद्दा बना कर आगे बढ़ रही है ।इसके अलावा पलायन रोकने के प्रयास , पर्यटन क्षेत्र के विस्तार और रोजगार की संभावनाओं के साथ पूरी थराली में घेस मॉडल के विस्तारीकरण के लिए सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली से जिस तरह क्षेत्रवासी खुश नजर आ रहे उसका फायदा भाजपा को जरूर मिलने वाला है । थराली उपचुनाव एक तरफ सरकार और संगठन तो दूसरी तरफ पांच बार के सांसद बी0 सी0 खंडूरी जो हर चुनाव में थराली से भारी मतों से जीतते आए है तथा उनके साथ दो बार के पूर्व सांसद सतपाल महाराज जो वर्तमान में भाजपा सरकार के मंत्री है दोनों की प्रतिष्ठा का भी चुनाव बना हुआ है |

कांग्रेस के प्रो० जीतराम की छवि जहाँ पढ़े लिखे प्रत्याशी और पूर्व विधायक के रूप में है वहीँ भाजपा की मुन्नी देवी पिछले चार सालों से चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष है I थराली सीट जीत लेने से भले ही न तो कांग्रेस की सियासी सेहत पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा और न ही हारने से भाजपा सरकार की मजबूती पर कोई असर होगा, लेकिन इतना जरूर है की थराली के भविष्य पर इसका बहुत असर पड़ेगा I साइलेंट मतदाताओं की लहर किस तरफ बहेगी ये तो कहना अभी मुश्किल है लेकिन ये साफ़ है की इस उपचुनाव में सुदूर पिछड़े क्षेत्र थराली के विकास को लेकर सवेंदनशील मतदाता अबकी बार विकास के नाम पर ही वोट देंगे I केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने से इसका लाभ निसंदेह मुन्नी देवी को मिल सकता है लेकिन एक तरफ जहाँ त्रिवेंद्र विरोधी गुट और पिछले एक साल से हाशिये पर माफिया व दलाली लॉबी अंदर ही अंदर भाजपा की राह में कांटें बिछाने का काम करेगी वहीँ दूसरी तरफ भाजपा सरकार के गुड गवर्नेंस का दावा भी दांव पर लगा हुआ है ।

अब देखना तो यह है थराली उपचुनाव में डबल इंजन वाली भाजपा की चुनावी रणनीति कितनी कारगर रहती है I क्यूंकि ये बात तो तय है कि अगर चुनाव में मुन्नी देवी की जीत हुई तो वो संगठन की जीत होगी और यदि हार मिली तो उसका ठीकरा त्रिवेंद्र सरकार के ऊपर फोड़ा जाएगा जिससे त्रिवेंद्र रावत पर दबाव बनाना उनके विरोधियों के लिए और भी आसान होगा I

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