उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग में जल संस्थान की पाइप लाइन से निकल रहे सांप

लाइनें हुई चोक तो स्थानीय लोगों ने पाइप लाइनों को खोला
लाइन खोलते ही निकले सांप और कीड़े
पानी के जहरीले होने की भी बनी हैं संभावना
80 लाख खर्च होने के बाद भी जनता को नहीं मिल रहा शुद्ध पानी
जिलाधिकारी ने जांच को दिलाया भरोसा
 रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग शहर को जिला मुख्यालय बने पूरे बीस साल का समय हो गया है, लेकिन नगर को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति आज तक नहीं हो पाई है। वैसे तो पूरे वर्ष बिना फिल्ट्रेशन के पुनाड़ गदेर से ही पानी को टेपकर नगरवासियों को आपूर्ति की जाती है, मगर बरसात में सबसे बुरे हाल हैं। बारिश होने पर मिट्टी के साथ ही पत्थर, कीड़े-मकोड़े और सांप भी आ रहे हैं, जिससे यह पानी न पीने लायक है और ना ही अन्य काम आ सकता है। पानी में सांप निकलने से पानी के जहरीले होने की भी संभावना बनी है।

वर्ष 2013 में जल संस्थान ने मुख्य स्त्रोत पुनाड़ गदेरे पर लगभग 80 लाख रूपये खर्च कर फिल्टर लगाया था। बावजूद इसके बरसात में हमेशा गंदे पानी की आपूर्ति होना शुरू हो जाती है। इससे पेट संबंधी समेत कईं संक्रमण बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है। मुख्य पेयजल स्त्रोत के गदेरे में पानी बढ़ने से पाइप लाइन टूट जाती है। इससे नगर में पानी की आपूर्ति भी अक्सर बाधित हो जाती है। जब नगर पालिका में पेयजल की समस्या का यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों में किस प्रकार पानी की सप्लाई होती होगी, यह भी सवाल बना हुआ है।

स्थानीय जनता की माने तो नगर में फिल्टर व्यवस्था होने के बाद भी बरसात के दौरान गंदे पानी की आपूर्ति बनी रहती है। इससे नगरवासियों को गंदे पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। कहा कि लाखों रूपये फिल्टर पर खर्च होने के बाद भी शहर में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। नगर की जनता अब जिलाधिकारी पर भरोसा जता रही है।

वहीं इस संबंध में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने जांच को भरोसा दिलाया है। उनका कहना है कि नगर क्षेत्र की जनसंख्या अधिक है, जबकि फिल्टर की क्षमता कम है, जिस कारण पानी दूषित आ रहा है। व्यवस्था के तौर पर नगर की जनता को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जायेगी।

सोचनीय यह है कि जब जिला मुख्यालय में आला अधिकारियों के बैठने के बावजूद भी नगर की जनता को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है तो ग्रामीण जनता किस तरह से अपना गुजारा कर रही है। वाटर फिल्ट्रेशन के नाम पर हर वर्ष लाखों रूपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात जैसी बनी हुई है। ऐसे में जरूरी है कि जिलाधिकारी को इस ओर ध्यान देते हुए नगर की जनता को राहत दिलानी चाहिए।

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