उत्तराखंड

सूचना न देने पर राज्य सूचना आयोग का कड़ा रुख, अधिकारियों पर जुर्माना व निलंबन..

सूचना न देने पर राज्य सूचना आयोग का कड़ा रुख, अधिकारियों पर जुर्माना व निलंबन..

 

उत्तराखंड: सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी न देने और गुमराह करने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने सख्त कार्रवाई की है। पंचायत विभाग और शिक्षा विभाग के दो लोक सूचना अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही एक लोक सूचना अधिकारी को निलंबित भी कर दिया गया है। राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि सूचना अधिकार कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जनहित में जानकारी प्रदान करना सभी सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी है। आयोग ने यह भी कहा कि सूचना छिपाना या गुमराह करना गंभीर अपराध है और इसके लिए कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस निर्णय से राज्य में सूचना अधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

सितारगंज ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में कराए गए विकास कार्यों और बैठकों की जानकारी मांगने पर सूचना न देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। निखिलेश घरामी नाम के नागरिक ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत साल 2019 से ग्राम पंचायत देवीपुरा, डिओड़ी, बिडौरा, गिधौर, खमरिया, खैराना, बलखेड़ा और सिद्धानवदिया में कराए गए विकास कार्यों, खुली बैठकों और संबंधित निर्णयों की जानकारी मांगी थी। हालांकि, पंचायत विभाग के लोक सूचना अधिकारी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य ने इस सूचना देने में लगातार टालमटोल की। इस पर राज्य सूचना आयोग ने दोनों अधिकारियों को दोषी पाया और उन पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही एक लोक सूचना अधिकारी को निलंबित भी कर दिया गया है। राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी छिपाना या देरी करना गैरकानूनी है और ऐसी कार्रवाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने एक साल तक यह कहा कि जानकारी ग्राम प्रधानों के पास है। जब शिकायतकर्ता को कोई जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की अध्यक्षता में मामले की सुनवाई हुई। जांच में सामने आया कि जानकारी ग्राम प्रधानों के पास नहीं, बल्कि पंचायत सचिव यानी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पास थी। प्रधानों ने भी आयोग को लिखित में बताया कि दस्तावेज सचिव के पास हैं। इसके बावजूद, पंचायत विभाग के लोक सूचना अधिकारी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य ने सूचना देने में लगातार टालमटोल की।

 

 

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