उत्तराखंड

नाग-जगई के सौरव दुमागा बने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट, क्षेत्र में गर्व का माहौल..

नाग-जगई के सौरव दुमागा बने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट, क्षेत्र में गर्व का माहौल..

 

 

 

उत्तराखंड: आज के दौर में सफलता सिर्फ इच्छाशक्ति से नहीं, बल्कि जुनून और लगन से आती है। कहते हैं न कि सपने उन्हीं के सच होते हैं, जिनके सपनों में जान होती हैं पंख से कुछ नहीं होता होंसलों में उड़ान होती हैं। अगर आप अपने सपनों के पीछे दिल और आत्मा से जुटते हैं, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं। छोटे-छोटे कदम, लगातार प्रयास और हौसले के साथ काम करना ही उन्हें हकीकत में बदल सकता है। कई ऐसे प्रेरक उदाहरण सामने आए हैं, जहां आम युवा अपनी मेहनत और लगन के दम पर बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि सपने वही सच होते हैं, जिन्हें जीने की हिम्मत होती है।

ऐसा ही कुछ कर दिखाया हैं देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के सौरव दुमागा ने। रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि के नाग-जगई गांव के निवासी सौरव दुमागा ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे केदारघाटी और जनपद का नाम रौशन किया है। देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से कमीशन हासिल करने के साथ ही उन्होंने अपने बचपन के सपने को साकार किया है और क्षेत्र में उत्साह और गौरव का माहौल बना दिया है। सौरव का सफर साधारण माहौल से शुरू हुआ। गांव में सादगी और अनुशासन से भरी शिक्षा ने उनके व्यक्तित्व को आकार दिया। बचपन से ही मेधावी और बहुमुखी प्रतिभा वाले सौरव पर यह कहावत सटीक बैठती है, “पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।” उनके आत्मनियंत्रण, परिश्रम और लक्ष्य की स्पष्टता ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। उन्होंने पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन (टेक्निकल) में भी चयन प्राप्त किया था, लेकिन उनका असली लक्ष्य UPSC CDS परीक्षा के माध्यम से भारतीय सैन्य अकादमी से स्थायी कमीशन पाना था। सौरव ने अपने संकल्प और मेहनत से इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। क्षेत्रवासियों ने सौरव की इस उपलब्धि पर खुशी जताई और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

बता दे कि सौरव के पिता जगदीश दुमागा भारतीय सेना से हवलदार पद से सेवानिवृत्त हैं और अब सरल, अनुशासित जीवन जी रहे हैं। माता श्रीमती राजेश्वरी दुमागा एक कुशल गृहिणी हैं, जिन्होंने सौरव के बचपन से ही उसकी पढ़ाई और अनुशासन पर विशेष ध्यान दिया। बड़े भाई नवीन दुमागा ने अपनी खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है, जिसने पूरे परिवार का मान बढ़ाया है। रुद्रप्रयाग जनपद के पैलिंग गांव निवासी माधव नेगी ने भी सौरव की प्रशंसा करते हुए कहा कि बचपन से ही सौरव में विलक्षण प्रतिभा और देश सेवा का जज़्बा स्पष्ट दिखाई देता था। भारतीय सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना सौरव का मुख्य उद्देश्य रहा है। सौरव दुमागा की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि पहाड़ के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बनकर उभरी है, जो दिखाती है कि कठिन परिश्रम, अनुशासन और लक्ष्य के प्रति दृढ़ता से कोई भी सपना सच किया जा सकता है।

 

 

 

 

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