प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया…
सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती पर गुजरात के केवड़िया में हुआ अनावरण..
182 मीटर की यह दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा, इसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नाम दिया गया…
पटेल की प्रतिमा में 85% तांबे का इस्तेमाल, इसे बनाने में पांच साल लगे..
गुजरात : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां बुधवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इससे पहले उन्होंने गंगा, यमुना, नर्मदा समेत 30 छोटी-बड़ी नदियों के जल से प्रतिमा के पास स्थित शिवलिंग का अभिषेक किया। 30 ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार किया। सरदार सरोवर पर बनी पटेल की यह प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया में सबसे ऊंची है।
प्रतिमा के अनावरण के बाद इस पर वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टरों से पुष्प वर्षा की गई
बीते चार सालों में कई महापुरुषों के संग्रहालय जैसे हरियाणा में सर छोटूराम, कच्छ में श्यामजी कृष्ण वर्मा का स्मारक बनाया गया है। 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का ऐलान किया गया है। लेकिन कुछ लोग इसे राजनीति के चश्मे से देखने का प्रयास करते हैं। ऐसा अनुभव कराया जाता है कि हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो।
मोदी ने कहा- सरदार पटेल ना होते तो हैदराबाद की चारमीनार देखने के लिए वीजा लेना पड़ता
मोदी ने कहा, जब मैं यहां की चट्टानें देख रहा था तो लगा कि इतनी बड़ी प्रतिमा के लिए कोई चट्टान इतनी मजबूत नहीं थी। दुनिया की ये सबसे ऊंची प्रतिमा उस व्यक्ति के साहस, संकल्प की याद दिलाती रहेगी जिसने मां भारती को खंड-खंड टुकड़ों में करने की साजिश को नाकाम किया। ऐसे महापुरुष को मैं शत-शत नमन करता हूं। जब मां भारती 550 रियासतों में बंटी थी और दुनिया में भारत के भविष्य को लेकर निराशा थी, सभी को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा। सभी को एक ही किरण दिखती थी और वो थे- सरदार वल्लभ भाई पटेल।
#WATCH: Prime Minister Narendra Modi says, "if it was not for Sardar Sahab's resolve, then we Indians would have to take visa to see the Gir lions, pray at Somnath, or to see Hyderabad's Charminar". #StatueOfUnity pic.twitter.com/RfAu3tOSyu
— ANI (@ANI) October 31, 2018
सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण
पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी के शौर्य का समावेश था। 5 जुलाई, 1949 को रियासतों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था- विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, बैर का भाव हमारी हार की वजह बने। अब इस गलती को दोहराना नहीं है और किसी का गुलाम नहीं होना है। सरदार साहब के कहने पर राजे-रजवाड़ों ने देश में विलय कर लिया। राजे-रजवाड़ों का एक वर्चुअल म्यूजियम तैयार किया जाना चाहिए ताकि उनकी चीजों को याद रखा जा सके। अगर सरदार साहब ने काम नहीं किया होता तो गिर के शेर देखने, शिवभक्तों को सोमनाथ में पूजा करने और हैदराबाद की चारमीनार देखने के लिए वीजा लेना पड़ता। अगर सरदार साहब का संकल्प नहीं होता तो सिविल सर्विस का ढांचा तैयार नहीं होता। सरदार ने कहा था- अब तक जो इंडियन सिविल सर्विस थी न तो वह इंडियन थी, न उसमें सिविल और सर्विस जैसा कुछ था। महिलाओं को भारत की राजनीति में सक्रिय योगदान का अधिकार देने में उनका योगदान था। उनकी पहल पर भी आजादी के कई दशक पहले महिलाओं के राजनीति में आने का रास्ता खोला गया। देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं जो पूर्णता का अहसास कराते हैं। आज का ये दिन उन्हीं क्षणों में से एक है। आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास के स्वर्णिम पुष्प को उजागर करने का काम किया। आज धरती से आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है।
कार्यक्रम में दिखी 29 राज्यों की संस्कृति की झलक
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण समारोह में देश के 29 राज्यों की संस्कृति की झलक दिखाई दी। यूनिटी वॉल से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक सवा दो किमी लंबे मार्ग पर 900 कलाकारों ने खड़े होकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण से पहले मोदी ने यहां फूलों की घाटी ‘एकता नर्सरी’ का दौरा किया। मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 2003 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस परियोजना पर 2013-14 में काम शुरू हुआ था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद फूलों की घाटी के निर्माण कार्य में तेजी आई है। गुजरात सरकार ने इसके लिए 12 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है।
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध पर बनी यह मूर्ति सात किलोमीटर दूर से नजर आती है। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इससे पहले चीन की स्प्रिंग बुद्ध सबसे ऊंची प्रतिमा थी। इसकी ऊंचाई 153 मीटर है। इसके बाद जापान में बनी भगवान बुद्ध की प्रतिमा का नंबर आता है जो 120 मीटर ऊंची है। तीसरे नंबर पर न्यूयॉर्क की 93 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी है।2021 में भारत सरदार पटेल से भी ऊंची प्रतिमा बना लेगा। 212 मीटर ऊंची छत्रपति शिवाजी की यह प्रतिमा मुंबई के पास अरब सागर में बन रही है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में पांच साल का वक्त लगा। सबसे कम समय में बनने वाली यह दुनिया की पहली प्रतिमा है। लागत 2990 करोड़ रुपए है।स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को सिंधु घाटी सभ्यता की समकालीन कला से बनाया गया है। इसमें चार धातुओं के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया है। इससे इसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टैच्यू में 85% तांबा इस्तेमाल हुआ है। स्टैच्यू में लगी लिफ्ट से पर्यटक प्रतिमा के हृदय तक जा सकेंगे। यहां से लोग सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का नजारा देख सकेंगे। प्रतिमा में सरदार के चेहरे की बनावट तय करने के लिए दस लोगों की कमेटी बनाई गई थी। सभी की सहमति के बाद 30 फीट का चेहरा बना गया। इसे 3डी तकनीक से तैयार किया गया है। पटेल की प्रतिमा के होंठ, आंखें और जैकेट के बटन 6 फीट के इंसान के कद से बड़े हैं। इसमें 70 फीट लंबे हाथ हैं, पैरों की ऊंचाई 85 फीट से ज्यादा है। इसे बनाने में 3400 मजदूरों और 250 इंजीनियरों ने लगभग 42 महीने काम किया।
सरकार स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को पश्चिम भारत के सबसे शानदार पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित कर रही है। यहां पर्यटकों के आकर्षण के लिए कई और सुविधाएं बनाई जा रही हैं। पर्यटक यहां रुक भी सकेंगे। प्रतिमा स्थल पर लेजर शो चलेगा। पास में ही म्यूजियम, रिसर्च सेंटर और फूड कोर्ट होगा। प्रतिमा पर कमर से ऊपर लेजर शो के जरिए सरदार पटेल की जीवन यात्रा दिखाई जाएगी। सरदार म्यूजियम भी होगा। जहां पटेल से जुड़े 40 हजार दस्तावेज, 2 हजार दुर्लभ फोटो होंगी। नेहरू, अंबेडकर, सरोजिनी नायडू जैसी विभूतियों के संविधान सभा में दिए भाषण के ऑडियो टेप भी म्यूजियम में होंगे।यहां 45 हेक्टेयर में टाइगर सफारी बनाई जाएगी, कच्छ की तर्ज पर 250 रूम की टेंट सिटी बनेगी, इसमें 500 लोग ठहर सकेंगे सरदार सरोवर बांध से 4 किमी दूर साधु बेट में कच्छ के रण की तरह टेंट सिटी बसाई जा रही है।
