उत्तराखंड के 625 केंद्रों में आज से धान और मंडुवे की खरीद शुरू, किसानों को मिलेगा लाभकारी मूल्य..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में धान और मंडुवे की खरीद आज से प्रदेशभर के 625 केंद्रों में शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने खरीफ फसलों की खरीद को लेकर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी कर ली हैं। इस संबंध में प्रमुख सचिव एल. फैनई ने आयुक्त खाद्य और विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। धान की खरीद के लिए गढ़वाल में 67 और कुमाऊं मंडल में 283 केंद्र बनाए जाएंगे। जबकि मंडुवे की खरीद के लिए गढ़वाल में 120 और कुमाऊं के 275 केंद्रों में इसकी खरीद की जाएगी। कुल मिलाकर राज्य के अलग-अलग इलाकों में 625 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
सरकार का कहना है कि खरीफ फसल की खरीद सीधे किसानों के खाते में भुगतान के साथ पारदर्शी तरीके से की जाएगी। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिलेगा। राज्य सरकार इस बार मंडुवे जैसी मोटे अनाज की फसल को भी खरीद केंद्रों में शामिल कर रही है। इसका उद्देश्य पहाड़ों में उगाई जाने वाली पारंपरिक फसलों को प्रोत्साहन देना और किसानों की आय बढ़ाना है। प्रमुख सचिव ने संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खरीद केंद्रों पर किसानों की हर संभव सुविधा सुनिश्चित की जाए। तौल, भंडारण और भुगतान की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से संपन्न करने पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
उत्तराखंड सरकार ने खरीफ सीजन की धान और मंडुवे की खरीद को लेकर बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के 625 खरीद केंद्रों पर आज से किसानों की उपज की खरीद शुरू हो गई है। सरकार का कहना है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।जबकि इसमें लापरवाही या लक्ष्य के अनुरूप खरीद में योगदान न देने पर उन्हें दंडित करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।निर्देश में कहा गया है कि सरकार ने धान कॉमन श्रेणी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए का 2389 घोषित किया है। वहीं, मंडुवा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4886 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। धान और मंडुवे की खरीद 31 दिसंबर तक होगी।
प्रमुख सचिव एल. फैनई ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि खरीफ फसलों की खरीद में पारदर्शिता बनाए रखना प्राथमिकता है। किसानों को समय पर भुगतान सीधे उनके खातों में किया जाएगा, ताकि बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो सके। प्रमुख सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि लक्ष्य के अनुरूप खरीद करने वाले संस्थानों, कर्मचारियों और अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाएगा। वहीं लापरवाही बरतने या निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप खरीद में योगदान न देने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। धान और मंडुवे जैसे फसलों की खरीद से न केवल किसानों को उचित दाम मिलेगा, बल्कि पारंपरिक कृषि को भी प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार का मानना है कि इससे प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी।
