उत्तराखंड

चार दशक बाद नंदा देवी पर्वत को पर्वतारोहण के लिए फिर से खोलने की तैयारी

चार दशक बाद नंदा देवी पर्वत को पर्वतारोहण के लिए फिर से खोलने की तैयारी..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, सरकार ने चार दशक से बंद नंदा देवी पर्वत को पर्वतारोहण के लिए दोबारा खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (IMF), पर्यटन विभाग और वन विभाग मिलकर इस दिशा में संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं। नंदा देवी (7,816 मीटर) भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है और पर्यावरणीय कारणों से वर्ष 1980 में इसे पर्वतारोहण के लिए बंद कर दिया गया था। अब इस क्षेत्र में एडवेंचर टूरिज्म की अपार संभावनाओं को देखते हुए, इसे दोबारा खोलने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। यह प्रस्ताव हाल ही में देहरादून में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में पेश किया गया, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पर्यटन सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि नंदा देवी क्षेत्र में पर्वतारोहण को फिर से शुरू करने से राज्य में साहसिक पर्यटन को नई पहचान मिलेगी। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और राज्य की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी। भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने बैठक में कई सुझाव दिए, जिनमें एकीकृत पंजीकरण पोर्टल की स्थापना, सीमावर्ती पर्वतों में अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाना और वार्षिक एडवेंचर टूरिज्म मीट का आयोजन शामिल है।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने एक नया प्रस्ताव पेश करते हुए गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान को अब शीतकाल (अक्तूबर से मार्च) के दौरान भी पर्यटकों के लिए खोलने की योजना बनाई है। यह कदम हिमालयी जैव विविधता के दर्शन की संभावनाओं को बढ़ावा देने और सर्दियों में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस अवधि में हिम तेंदुए (स्नो लेपर्ड) के दर्शन की संभावना सबसे अधिक रहती है, जो पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अनोखा आकर्षण हो सकता है। विभाग ने इस पहल के लिए लद्दाख स्थित हेमिस नेशनल पार्क को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है, जो साल भर स्नो लेपर्ड पर्यटन के लिए जाना जाता है। हेमिस नेशनल पार्क, जो स्नो लेपर्ड का प्रमुख आवास है, पूरे वर्ष पर्यटकों के लिए खुला रहता है। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान को इसी तर्ज पर विकसित करने की योजना है, जिसमें वन्यजीव पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। पर्यटन विभाग और वन विभाग मिलकर शीतकाल में उद्यान को खोलने से जुड़ी चुनौतियों पर काम कर रहे हैं। पर्यटकों की सुरक्षा, मौसम की स्थिति, मार्ग की उपलब्धता, गाइड्स की ट्रेनिंग और पर्यावरण संरक्षण जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पर्यटन विभाग ने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए संबंधित विभागों और विशेषज्ञों से सुझाव मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यदि सभी पहलुओं पर सहमति बनती है, तो गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में सर्दियों का पर्यटन जल्द ही एक नई पहचान बना सकता है।

ट्रैकिंग के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया होगी सरल

उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें पर्यटन और वन विभाग सहित कई प्रमुख अधिकारियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। बैठक में प्रदेश में ट्रैकिंग को सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए कई अहम प्रस्ताव रखे गए। बैठक में वन विभाग ने बताया कि राज्य के विभिन्न ट्रेकिंग रूटों पर एकीकृत एकल खिड़की पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। यह पोर्टल ट्रैकर्स को ऑनलाइन अनुमति, पंजीकरण और अन्य जरूरी सूचनाएं एक ही मंच पर उपलब्ध कराएगा। इस पोर्टल का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और ट्रैकिंग के दौरान पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना है। विभाग ने बताया कि ट्रैकिंग रूटों की धारण क्षमता (Carrying Capacity) का भी मूल्यांकन किया जाएगा ताकि अधिक भीड़ से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव न पड़े। बैठक में ट्रैकिंग रूटों पर ट्रैकर्स की अधिकतम संख्या निर्धारित करने पर भी चर्चा की गई। इससे न केवल पर्यावरणीय संरक्षण सुनिश्चित होगा, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा और अनुभव की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन के अध्यक्ष कर्नल विजय सिंह ने बैठक में प्रस्ताव रखा कि हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर “एडवेंचर टूरिज्म मीट” आयोजित की जानी चाहिए। इस मीट के माध्यम से देशभर के टूर ऑपरेटरों, स्टेकहोल्डर्स और एडवेंचर टूरिज्म से जुड़े प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर अनुभवों और सुझावों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा। यह पहल उत्तराखंड को एडवेंचर टूरिज्म हब के रूप में स्थापित करने में मदद कर सकती है, साथ ही नीति निर्माण में जमीनी स्तर के अनुभवों को भी शामिल किया जा सकेगा।

 

 

 

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