उत्तराखंड

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर लग सकता हैं ब्रेक, चारधाम यात्रा और आरक्षण बना कारण..

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर लग सकता हैं ब्रेक, चारधाम यात्रा और आरक्षण बना कारण..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में प्रस्तावित पंचायत चुनावों पर फिलहाल ब्रेक लगता नजर आ रहा है। एक ओर जहां राज्य सरकार चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रस्तावित अध्यादेश पेश नहीं किया गया। इन दोनों कारणों से पंचायत चुनावों की प्रक्रिया फिलहाल आगे नहीं बढ़ पा रही है। चारधाम यात्रा के दौरान प्रदेश में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिससे राज्य प्रशासन को यातायात, सुरक्षा, स्वास्थ्य और व्यवस्थापन जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में चुनाव जैसे बड़े प्रशासनिक कार्य को एक साथ अंजाम देना सरकार के लिए कठिन हो रहा है। यही वजह है कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करना चाहती है।

कैबिनेट बैठक में जिस अध्यादेश को लेकर उम्मीद थी कि वह ओबीसी को पंचायत चुनावों में आरक्षण का कानूनी आधार देगा, वह दस्तावेज बैठक में लाया ही नहीं गया। इससे स्पष्ट हो गया है कि आरक्षण से जुड़ी प्रक्रिया अभी अधर में है, और इसके बिना चुनाव कराना असंवैधानिक हो सकता है। प्रदेश में जिला पंचायतों में फिलहाल प्रशासक कार्यरत हैं, जिनका कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो रहा है। लेकिन पंचायत चुनावों में हो रही देरी और चारधाम यात्रा के दबाव को देखते हुए सरकार के पास प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के अलावा फिलहाल कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखाई दे रहा।

हरिद्वार जिले को छोड़कर उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले कई कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी करनी जरूरी हैं। इनमें सबसे अहम है ओबीसी आरक्षण को लेकर पंचायत एक्ट में संशोधन। राज्य सरकार को पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के लिए पहले पंचायत अधिनियम में संशोधन करना होगा। इस संशोधन के बाद ही शासनादेश जारी किया जाएगा, जिसमें आरक्षण की प्रतिशतता तय की जाएगी। इसके तहत तय किया जाएगा कि किस श्रेणी को कितने प्रतिशत सीटों पर प्रतिनिधित्व मिलेगा। शासनादेश जारी होने के बाद आरक्षण सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। इसके पश्चात सार्वजनिक रूप से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी, जिन्हें निस्तारित करने के बाद ही अंतिम सूची जारी होगी। पूरी प्रक्रिया में कई सप्ताह या संभवतः महीने लग सकते हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया में स्वाभाविक रूप से देरी होगी।

इसके बाद आपत्तियों पर सुनवाई कर उनका निपटारा किया जाएगा। एससी, एसटी, ओबीसी और महिला आरक्षण पर आपत्तियों का निपटारा करने के बाद पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। विभाग के अधिकारियों का कहना हैं कि इस काम में काफी समय लगेगा। इस दौरान प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू हो रही है।

एक जून को खत्म हो रहा जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल..
यात्रा तैयारी में पूरी मशीनरी जुटेगी। ऐसे में एक जून को जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इससे पहले चुनाव करा पाना संभव नहीं होगा। हालांकि विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार का कहना हैं कि पंचायत चुनाव के लिए विभाग की तैयारी चल रही है। विभाग को चुनाव के लिए 28 दिन चाहिए, इसके लिए अभी काफी समय है। उनका कहना है कि चुनाव समय पर करा लिए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने कि सरकार को आरक्षण तय करना है। हमें अभी आरक्षण नहीं मिला। जब मिलेगा चुनाव करा लिए जाएंगे।

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top