खसरा-रूबेला उन्मूलन को लेकर उत्तराखंड में राज्य टास्क फोर्स की अहम बैठक, टीकाकरण अभियान को प्रभावी बनाने पर जोर..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में खसरा और रूबेला जैसी अत्यधिक संक्रामक बीमारियों के उन्मूलन के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। इसी कड़ी में राजधानी देहरादून में राज्य टास्क फोर्स की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सशक्त बनाना और शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करना रहा। बैठक में स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), UNICEF, और अन्य साझेदार एजेंसियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। अधिकारियों ने राज्य में चल रहे मिशन इंद्रधनुष और खसरा-रूबेला टीकाकरण की प्रगति पर प्रस्तुतिकरण दिया।
स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि “राज्य में खसरा-रूबेला उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2026 तक रखा गया है, जिसके लिए निगरानी, रिपोर्टिंग और सामुदायिक भागीदारी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बैठक में निर्णय लिया गया कि जिन क्षेत्रों में टीकाकरण दर कम है, वहां विशेष माइक्रो प्लानिंग के जरिए टीकाकरण सत्रों की संख्या और पहुंच बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी कर्मियों को सक्रिय भूमिका देने पर भी सहमति बनी। राज्य टास्क फोर्स ने यह भी तय किया कि विद्यालयों, ग्राम सभाओं और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि लोगों को खसरा और रूबेला के खतरों और टीकाकरण के लाभों के बारे में शिक्षित किया जा सके।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), उत्तराखंड के सभागार में राज्य टास्क फोर्स की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता स्वाति एस. भदौरिया, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड ने की। बैठक में वर्ष 2026 तक उत्तराखंड को खसरा-रूबेला मुक्त राज्य घोषित करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई। मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने बैठक को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस लक्ष्य को समय पर प्राप्त करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि “खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों से बच्चों का जीवन सुरक्षित रखने के लिए यह अभियान हमारी शीर्ष प्राथमिकताओं में है।
बैठक में हुई प्रमुख चर्चा..
1- VPD (Vaccine Preventable Disease) सर्विलांस के माध्यम से खसरा व रूबेला के मामलों की सक्रिय पहचान, प्रयोगशाला से पुष्टि एवं समयबद्ध रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना।
2- प्रकोप की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र को सुदृढ़ करना।
3- UWIN पोर्टल के माध्यम से टीकाकरण सत्रों की डिजिटल मॉनिटरिंग और विश्लेषण।
4- जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से समुदायों को टीकाकरण के महत्व के प्रति संवेदनशील बनाना।
बच्चों को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं खसरा और रूबेला
उत्तराखंड के सभागार में राज्य टास्क फोर्स की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने की। बैठक में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि “खसरा और रूबेला अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारियाँ हैं, जो विशेषकर बच्चों को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।” उन्होंने कहा कि ये बीमारियाँ निमोनिया, मस्तिष्क ज्वर, अंधत्व और मृत्यु जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती हैं, वहीं गर्भवती महिलाओं में यह भ्रूण विकृति और गर्भपात जैसी समस्याओं को जन्म देती हैं। इन बीमारियों के उन्मूलन के लिए वैश्विक जनस्वास्थ्य प्रयासों के अनुरूप उत्तराखंड में 95 प्रतिशत या उससे अधिक टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य रखा गया है।
इससे सामुदायिक प्रतिरक्षा (Herd Immunity) विकसित की जा सकेगी, जो रोग प्रसार को रोकने के लिए अत्यंत आवश्यक है। बैठक में बताया गया कि यह लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, तथा WHO, UNICEF और अन्य साझेदार एजेंसियों के सहयोग से प्राप्त किया जाएगा। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से घर-घर संपर्क कर छूटे बच्चों की पहचान और टीकाकरण किया जाएगा। मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने सभी जिलों को निर्देशित किया कि वे इस अभियान को मिशन मोड में चलाएं और टीकाकरण कार्यक्रम की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ स्वास्थ्य का विषय नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य देने का सामाजिक दायित्व है।
जुलाई से चलेंगे विशेष टीकाकरण सप्ताह..
मिशन निदेशक ने जानकारी दी कि जुलाई 2025 से अगले तीन महीनों तक पूरे प्रदेश में विशेष एम.आर. टीकाकरण सप्ताह आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों की निगरानी UWIN पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। यदि किसी कारणवश कोई टीकाकरण सत्र आयोजित नहीं हो पाता है, तो उसके पीछे के कारणों की समीक्षा की जाएगी और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
