कीडाजडी के बाद दिव्या रावत की एक और सौगात, रोजगार के नये अवसरों का होगा सृजन, मिलेगी भरपूर पौष्टिकता
संजय चौहान
मशरूम गर्ल दिव्या रावत हर रोज नए-नए प्रोडक्ट ईजाद कर रही है। पहले उन्होंने साल में तीन बार मशरूम उगाकर सभी को सोचने पर मजबूर किया। उत्तराखंड में आज से 7 साल पहले तक मशरूम के बारे में केवल शहर के लोग ही जानते थे। लेकिन आज उत्तराखंड के गाँव-गाँव में लोग मशरूम उगाना चाहते हैं।
दिव्या ने अमीर लोगों की थाली के मशरूम डिश को गरीब की थाली तक पहुंचा दिया है। दिव्या उत्तराखंड को मशरूम की राजधानी बनाना चाहती है और उत्तराखंड में 10 से भी अधिक प्रजाति के मशरूम देखना चाहती है। अभी दिव्या 5 प्रकार के मशरूम उगा रही है। विगत दिनों दिव्या ने हिमालय में उगने वाले कीड़ाजड़ी को अपने देहरादून स्थित सौम्या फ़ूड प्रालि में उगाकर करिश्मा कर दिया था। दिव्या हिमांचल, थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम से मशरूम उत्पादन की तकनीक सीखकर आ चुकी है।
अब दिव्या रावत मशरूम चिप्स के जरिये एक बार फिर से धमाल मचाने की तैयारी में हैं। जिसमे मशरूम से चिप्स तैयार किये जायेंगे। ये चिप्स ढिंगरी मशरूम से तैयार होंगे। जो की भारत में उगाया जाने वाला दूसरा प्रमुख मशरूम है। 15 से लेकर 20 दिन में तैयार होती है ढिंगरी मशरूम।
बकौल दिव्या ऑयस्टर मशरूम (ढिंगरी मशरूम) के उत्पादन की कमी से अभी इसे बाजार में लांच नहीं किया गया है। उत्तरखंड सरकार के सहयोग और सभी आजीविका स्वयं सहायता समूहों के जरिये दीपावली के बाद प्रदेश में इसका उत्पादन बढ़ाया जायेगा। जिसके बाद इसे पूरे देश में लांच करने की मंशा है। मशरूम चिप्स को लेकर देश भर से आ रही प्रतिक्रियाएं बेहद उत्साहजनक है। कई लोगों ने तो अग्रिम बुकिंग भी दे दिए हैं। उम्मीद है की सब कुछ ठीक ठाक रहा तो मशरूम चिप्स के जरिये उत्तराखंड को एक नई पहचान मिलेगी। जबकि उत्तरखंड के सुदूरवर्ती गांवो में मशरूम उत्पादन के जरिये रोजगार सृजन के अवसर बढ़ेंगे। क्योंकि बहुत बड़ी मात्रा में मशरूम की आवश्यकता होगी मशरूम चिप्स के लिए, वर्तमान समय में उत्तराखंड में अपेक्षा के अनुरूप मशरूम का कम उत्पादन हो रहा है।
वर्तमान में बाजार में उपलब्ध आलू चिप्स की तुलना में मशरूम चिप्स सेहत के लिए भी लाभदायक साबित होगा। क्योंकि ये सब्ज़ियों की तुलना में अधिक पौषक गुणों से भरपूर होता है। चीन में मशरूम को महाऔषधि और रोम में इसे ईश्वर का आहार मानते हैं। मशरूम में आठ प्रकार के विटामिन और मिनरल पाये जातें हैं जो शरीर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करतें हैं। चिप्स बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय है ऐसे में यदि बाजार में मशरूम चिप्स आता है तो इससे न केवल बच्चों को चिप्स उपलब्ध हो पायेगा अपितु प्रचुर मात्रा में न्यूट्रेसन भी मिल पायेगा।
आपको बताते चलें की विगत दिनों सूबे में स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के तहत एक रिपोर्ट जारी हुई थी जिसमे पाया गया की उत्तराखंड के स्कूलों में अध्यनरत अधिकांश नौनिहाल कुपोषण के शिकार हैं क्योंकि उन्हें समुचित रूप में पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।
दिव्या की इस नई पहल का स्वागत किया जाना चाहिए और उम्मीद की जानी चाहिये की इससे न केवल उत्तराखंड को पहचान मिलेगी अपितु लोगों को रोजगार और नौनिहालों को प्रचुर मात्रा में पौष्टिकता भी।
