जानिए आखिर क्या हैं उत्तराखंड की जोजोड़ा परंपरा..
उत्तराखंड: उत्तरकाशी जिले के जौनसार बावर क्षेत्र से एक अनोखा शादी समारोह चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां दूल्हे की नहीं, बल्कि दुल्हन की बारात बैंड-बाजे के साथ निकली और पूरे रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न हुआ। आम तौर पर जहां शादी में दूल्हा बारात लेकर जाता है, वहीं इस विवाह में दुल्हन अपने घर से बारात लेकर वर पक्ष के घर पहुंची, जिसे देखने के लिए भारी संख्या में ग्रामीण और बाहर से आए मेहमान जुटे। स्थानीय लोगों के अनुसार, जौनसार बावर इलाके में इस तरह की ‘दुल्हन बारात’ की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कभी यह विवाह पद्धति बंगाण क्षेत्र में भी प्रचलित थी, लेकिन पिछले करीब पांच दशकों से यह परंपरा लुप्त हो चुकी थी। अब एक बार फिर इस आयोजन के माध्यम से इस पारंपरिक प्रथा को जीवंत करने का प्रयास किया गया है। शादी के दौरान पूरे गांव में लोकधुनों की गूंज सुनाई दी। दुल्हन की बारात के स्वागत में वर पक्ष के घर में पारंपरिक नृत्य, गीत और लोकवाद्य बजाए गए। ग्रामीणों ने कहा कि यह आयोजन न केवल विवाह समारोह था, बल्कि संस्कृति और परंपरा के पुनर्जीवन का प्रतीक भी बन गया।
इस अनोखी शादी को देखने के लिए आसपास के गांवों से लोग उमड़ पड़े। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि जौनसार-बावर की संस्कृति में कई ऐसे अनूठे रिवाज हैं जो इस क्षेत्र को बाकी प्रदेशों से अलग बनाते हैं। दुल्हन की बारात ले जाने की परंपरा इस बात का प्रतीक है कि यहां महिलाओं को समाज में बराबरी और सम्मान का दर्जा प्राचीन काल से मिलता रहा है। गांव के बुजुर्गों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस आयोजन ने नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और विरासत से जोड़ने का काम किया है। उन्होंने इच्छा जताई कि आने वाले समय में इस परंपरा को और भी अधिक गांवों में अपनाया जाए, ताकि स्थानीय पहचान और परंपराएं जिंदा रह सकें। बारात लेकर आई दुल्हन के साथ बाराती तो सोमवार को लौट गए । लेकिन दुल्हन अपने ससुराल ही रहेगी। आपको बता दे कि यहां दुल्हन की विदाई नहीं होती। दरअसल उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील में आराकोट के कलीच गांव के रहने वाले पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज की रविवार को शादी हुई। मनोज की शादी ग्राम जाकटा के जनक सिंह की पुत्री कविता के साथ हुई। हालांकि ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ दुल्हन कविता बारात लेकर लड़के के घर पहुंची। इस दौरान दुल्हे की तरफ से भी रिति रिवाजों के साथ बारात का आदर-सत्कार किया गया।
शादी में नहीं लिया दहेज..
यह अनोखी शादी पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज चौहान और ग्राम जाकटा निवासी जनक सिंह की पुत्री कविता के बीच संपन्न हुई। इस विवाह की खासियत यह रही कि इसमें दुल्हन खुद बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची, और पूरे रीति-रिवाजों के साथ विवाह संस्कार पूरे किए गए। इस शादी की सबसे बड़ी बात यह रही कि दोनों परिवारों की ओर से न तो दहेज लिया गया, न मांगा गया। दूल्हे के पिता कल्याण सिंह चौहान ने कहा कि हमें ही अपनी संस्कृति को बचाना होगा और पुराने रीति-रिवाजों को जिंदा रखना होगा। यह परंपरा हमारी असली पहचान है। शादी के दौरान सादगी और परंपरा का ऐसा संगम देखने को मिला कि ग्रामीणों और मेहमानों ने इसे उदाहरणीय विवाह बताया।
स्थानीय लोगों के अनुसार इस प्रकार की शादी को ‘जोजोड़ा विवाह’ कहा जाता है। इस परंपरा में दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंचती है, और बारात में शामिल लोगों को ‘जोजोड़िये’ कहा जाता है। जोजोड़ा’ शब्द का अर्थ है वह जोड़ा जिसे भगवान स्वयं बनाते हैं। यह परंपरा इसलिए शुरू की गई थी ताकि बेटी के पिता पर विवाह का आर्थिक बोझ न पड़े और समाज में लड़कियों को समान सम्मान दिया जा सके। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि यह परंपरा पहले जौनसार-बावर और बंगाण इलाकों में काफी प्रचलित थी, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे विलुप्त हो गई। अब नई पीढ़ी ने इसे फिर से जीवित करने का बीड़ा उठाया है। कलीच गांव में हुई यह शादी अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है और लोग इसे “संस्कृति और समानता का उत्सव” कहकर सराह रहे हैं। शादी में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ विवाह नहीं, बल्कि महिलाओं के सम्मान और संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक है।