उत्तराखंड

महिलाएं करेंगी सैनिटरी नैपकीन का प्रोडक्शन

कपड़े के इस्तेमाल से होने वाली बीमारी को लेकर महिलाओं को किया जाएगा जागरूक

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की अभिनव पहल पर 25 स्कूल में स्थापित होंगी वेंडिंग मशीन

रुद्रप्रयाग। महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और जागरूक करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ‘स्पर्श’ नाम से एक प्रोजेक्ट संचालित करने जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत स्वयं सहायता समूह सैनिटरी नैपकीन का निर्माण करेंगी। पहले चरण में 25 स्कूलों में वेंडिंग मशीन स्थापित की जा रही है। यहां से लड़कियों को सस्ती दर पर नैपकीन उपलब्ध होगी।

पूरे घर का ध्यान रखने वाली महिलाएं आज भी स्वयं से जुड़ी जरूरी बातों से अंजान हैं। अज्ञानता व खुले तौर पर इन विषयों पर चर्चा ना कर पाना इसका मुख्य कारण है। कुछ महिलाओं को इस मुद्दे पर बात करने में भी बहुत हिचकिचाहट महसूस होती है। आज भी कई महिलाएं मासिक धर्म में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। बाद में इस कपड़े को ना वे धोती हैं ना सुखाती हैं, जिस वजह से इसमें जीवाणु पैदा हो जाते हैं। इस गंदे कपड़े का पुन: उपयोग उन्हें कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में ला खड़ा करता है।

महिलाओं से जुड़ी इस गंभीर समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने एक अभिनव पहल की है। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों को ‘स्पर्श’ अभियान से जोड़ दिया है। इसके तहत सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं सैनिटरी नैपकीन का प्रोडक्शन करेंगी। साथ ही अज्ञानता के कारण होने वाली बीमारियों को लेकर भी लड़कियों और महिलाओं को जागरूक करेंगी। इससे स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाओं की आय स्रोत भी खुलेंगे।

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि वेंडिंग मशीन और अन्य जरूरी चीजों के लिए ओएनजीसी द्वारा फंडिंग की गई है। फिलहाल जिले को ओएनजीसी की ओर से करीब साढ़े आठ लाख रुपए मिले हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में जागरूकता के अभाव में महिलाओं को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। महिलाओं को जागरूक करने के साथ ही उन्हें सस्ती दरों पर सैनिटरी नैपकीन उपलब्ध कराई जाएगी।

ऐसे काम करती है वेडिंग मशीन
विक्रय मशीन या वेंडिंग मशीन वो मशीन होती जो बिना किसी मानवीय सहायता या हस्तक्षेप के विक्रय सेवायें प्रदान कर सकती हैं। इन सेवाओं के निष्पादन के लिए स्वचालन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। बिक्री मशीनों द्वारा सबसे ज्यादा बिक्री, गर्म और शीतल पेयों (चाय, कॉफी, ठंडा आदि) पानी की बोतलोंख् ताजा सैंडविच, दुग्ध उत्पादन, नैपकीन, बिस्कुट, फल, सब्जियों की होती है।

बच्चे के उपचार के दौरान अभिभावकों को बाल कोष से मिलेगा पैसा
रुद्रप्रयाग अपने बच्चे के उपचार के लिए देहरादून, दिल्ली या किसी बड़े शहर के अस्पताल में जाने वाले अभिभावकों को अब आर्थिक संकट नहीं झेलना पड़ेगा। हंस फाउंडेशन से ‘स्वास्थ्य बाल कोष’ के लिए प्रतिवर्ष पांच लाख की धनराशि स्वीकृत हो गई है।

दरअसल, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत रेफर होने वाले बच्चों का उपचार निशुल्क किया जाता है, लेकिन समस्या यह थी कि बच्चे के साथ अस्पताल जाने वाले गरीब अभिभावकों को बड़े शहर में रहने और खाने की दिक्कतें होती थी। वह किसी तरह कर्ज लेकर अपने बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचते थे। उनकी इस समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने ‘स्वास्थ्य बाल कोष’ की स्थापना की। इस कोष में हंस फाउंडेशन की ओर से प्रतिवर्ष पांच लाख रुपए की धनराशि जमा की जाएगी।

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि बच्चे के बीमार होने पर माता-पिता को दिल्ली या देहरादून शहर में उपचार के दौरान रहने और खाने की सबसे बड़ी समस्या होती थी। उनकी समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य बाल कोष बनाया गया है। कोष से पहले चरण में सीधे दस हजार रूपए की धनराशि बीमार बच्चे के अभिभावकों को दी जा रही है। अभिभावकों को पैसे देने के लिए सीएमओ और एसीएमओ की निगरानी में एक कमेटी बनाई गई है। डीएम की संस्तुति के बाद संबंधित व्यक्ति को पैसा उपलब्ध कराया जाएगा।

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